शिक्षा

जाने आखिर यह लैंथेनाइड संकुचन है क्या ….. 🤔?

इसके परिणाम और इसका महत्व

लैंथेनाइड तत्वों के परमाणु क्रमांक बढ़ाने के साथ-साथ उनकी परमाणु त्रिज्या एवं आयनिक त्रिज्या छोटी होती जाती है अर्थात संकुचित होती जाती है इस गुण को लैंथेनाइड संकलन कहते हैं

.. करण लैंथेनाइड तत्वों के परमाणु क्रमांक बढ़ाने के साथ-साथ नया आने वाला इलेक्ट्रॉन बहत्तम कक्षा में प्रवेश करने के बजाय 4f कोर्स n-2f में प्रवेश करता है 4f इलेक्ट्रॉन का परीक्षण प्रभाव बहुत ही काम होता है प्रमाण के नाभिक पर आवेश बढ़ाने के कारण करण इलेक्ट्रॉन नाभिकीय और अधिक आकर्षित हो जाते हैं जिस परमाणु का आयन संकुचित हो जाता है फिर तत्वों का पृथक्करण लैंथेनाइड संकुचन के कारण इन तत्वों के रासायनिक गुना में अत्यधिक समानता होती है अतः इन्हें शुद्ध अवस्था में अलग-अलग प्राप्त करना कठिन होता है

.तत्वों के गुना में समानता द्वितीय श्रेणी के तत्वों की परमाणु त्रिज्या तथा तृतीय श्रेणी के संक्रमण तत्वों की परमाणु त्रिज्या लगभग समान होती है इस कारण टी आई और zx के गुना में भिन्नता है जबकि जर और फ के गुना में समानता है

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

यह भी पढ़ें

Back to top button
E7Live TV

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker