Sidhi news:बिना डाक्टरी प्रिस्क्रिप्सन के बांट रहे मेडिकल संचालक नशीली दवाईयां- मेडिसिन की लत में बर्बाद हो रही जिंदगी
संवाददाता अविनय शुक्ला
Sidhi news:जिले में शराब व गांजे से ज्यादा मेडिकल नशा का कारोबार काफी चरम पर पहुंच रहा है। लेकिन इस पर रॉक लगा पाने में जिला प्रशासन पूरी तरह से नाकाम रहा है। सरकार द्वारा नशीली दवाओं को बिना डाक्टरी प्रिस्क्रिप्सन के देने पर रॉक लगाई गई है लेकिन जिले के मेडिकल संचालकों द्वारा नशेड़ियों को काफी आसानी से उपलब्ध करा दे रहे है। जिससे ये युवा पीढ़ी नशे की चंगुल में घिरती जा रही है। नशा आज गंभीर समस्या बन गई है।
Sidhi news:इससे कई परिवार और जिंदगी बर्बाद हो रही है। खासकर युवा पीढ़ी पर इसका ज्यादा असर देखा जा रहा है। निरंतर बढ़ते नशे के प्रचलन से युवा पीढ़ी खोखली होती जा रही है। पुलिस की ओर से नशे के सौदागरों की धरपकड़ के लिए समय-समय पर अभियान तो चलाए जाते हैं। बावजूद इसके नशे का प्रचलन थम नहीं पा रहा है। कईअवैध कारोबारी पुलिस को चकमादेकर नशा बांटकर नौजवानों की जिंदगी को बर्बाद कर रहे हैं। जिले में ड्रग्स इंस्पेक्टर की कार्रवाई न हो पाने के कारण यह कारोबार जमकर फल फूल रहा है। बेशक नशीले पदार्थों के दाम में बढ़ोतरी हो गई हो, लेकिन इसकी आड़ में इसके सौदागर मुनाफा कमाने के लालच में युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही है। ऐसे में समाज के लोगों को ही इसकी रोकथाम को भूमिका निभानी होगी। एक अप्रैल 2014 में नईदिल्ली में महानिदेशक भारत सरकार की अध्यक्षता में औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) की बैठक सितंबर में हुई थी। इसमें ऐसी दवाओं को बिना प्रिस्क्रिप्शन बेचने पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया था। डीजीसीआई ने सभी राज्यों को निर्देश जारी किया था बावजूद इसके सीधी जिले के मेडिकल संचालक भी प्रतिबंधित दवायें तो मंगाते है इसका उनके पास रिकार्ड भी रहता है लेकिन फिर ये दे किसको रहे है इसका रिकार्ड इनमेडिकल संचालकों के पास नही रहता है। जबकि कैमिस्ट को दो साल तक इन दवाओं के खरीददारों का रिकार्ड रखना अनिवार्य होता है। लेकिन यहां मेडिकल स्टोरो की पड़ताल न होने के चलते बेखौफ होकर प्रतिबंधित दवाये बेंची जा रही है।
Sidhi news: बढ़ रहा अपराध / फिल्म उड़ता पंजाब में ड्रग्स के नशे में डूबी दुनिया को पर्दे पर उतारा गया है इसमें दिखाया गया है कि नशे के चंगुल में फंस कर किस तरह लोग बबर्बादी के कगार पर पहुंच रहे हैं। इन दिनों कुछ ऐसा ही सीधी शहर के युवाओं में देखने को मिल रहाहै। शहर की युवा पीढ़ी में तेजी से नशे की लत फैल रही है वहीं जवान हो रही पीढ़ी (12 से 20 साल) में नशे की लत तेजी से फैल रही है। यह नशा शराब या सिगरेट का नहीं है, बल्कि मेडिकल दवाओं का है। इस तरह का नशा करने की वजह से युवाओं की मानसिक स्थितिबिगड़ती जा रही है। कई का तो मनो चिकित्सालयों में इलाज भी चल रहा है, वहीं इस नशे के आदि होने के बाद से क्षेत्र में क्राईम भी बढ़ते जा रहे है। क्षेत्र में युवा पीढ़ी द्वारा नशे के ज्यादा आदि हो जाने के बाद से क्षेत्र में चोरी, लूटपाट, मारपीट जैसी घटना लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं अब क्षेत्र में चंद रुपयों के कारण युवाओं लूट करते नजर रहे है। क्षेत्र में पिछले दो वर्षों के आकड़े देखे जाये तो क्षेत्र में हुई चोरी, लूटपाट सहित वारदातों में सबसे ज्यादा युवा वर्ग के आरोपी थे।
ज्यादातार कॉलेज के छात्र भी शामिल / स्कूल और कॉलेज में पढ़ रहे कई छात्र नशेडियों के चंगुल में फंस जाते हैं। शुरू में इन्हें शौक के लिए स्मैक का नशा कराया जाता है। बाद में यह नशा छात्रों के जेहन में इतना उतर जाता है कि वे इसके आदी हो जाते हैं। नशेड़ियों में स्कूल एवं कालेज के कई छात्र भी शामिल है।
इन दवाओं का हो रहा नशे में इस्तेमाल
Sidhi news: नशा करने वाले युवा तीनों तपके से संबंध रखते हैं। धनाढ्य, मध्यम वर्गीय और गरीब सभी तरह के परिवारों के युवा नशे की गिरफ्त में हैं। ये युवा तनाव, बेरोजगारी, पैसे की कमी या फिर जीवन में आनंद उठाने के लिए नशे का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए फोर्डविन, एविल, नार्फिन के इंजेक्शन, नींद की दवाइयां जैसे नाइटरसिट,एलेप्रेत्कस, काम्पोज, वेलियम प्राक्सम, विभिन्न सीरप में खांसी की दवाइयां येनाड्रिल, कोरेक्स वएलोपैथिक दवाएं, अल्प्राजोलम,बालोफ्लोक्सासिन, ट्रेमाडोल एंड जोलपीडेम,मॉक्सिफ्लोक्सासिन, पूलीफ्लोक्सासिन,
पेंटाजोसिन, इयेमबूटोल हाइड्रोक्लोराइड,डोरीपेनम, सेफ्ट्रीआक्सोन, सिफेपाइम केएंटीबायटिक, हार्ट, किडनी, टीबी रोग, कोरेक्स समेत जिन्हें असंतुलित मात्रा में ग्रहण कर मस्त हो जाते हैं, जिससे इनका तनाव कम होता है और चिंता से मुक्ति मिल जाती है। इस तरह के नशे को करने वाले की पहचान आसानी से नहीं हो पाती है जिस तरह से शराब पीने वालों की पहचान हो जाती है। इसलिए नशा करने वाले युवा मेडिकेटेड नशे की ओर खिंच रहा है। छोटी- बड़ी जगहों में मेडिकल वाले आसानी से अपने ग्राहकों को ये नशा उपलब्ध कराते हैं। नशे की ये दवाईया आसानी से मिलने की वजह से ही इनका इस्तेमाल बढ़ा है। डॉक्टर की पर्ची के बिना न दी जाने वाली ये दवाएं मेडिकल स्टोर्स बिना डॉक्टर के पर्चे के मिल जाती है।