temple theft : वन विभाग और पुलिस विभाग की अलग हुई कार्यवाही एक ही मंदिर को दो बार चुरवाया अधिकारियों ने, दो अलग-अलग तरह से हुई कार्यवाही। पुलिस फिर में 21 सितंबर के दिन हुई चोरी तो वन विभाग ने 3 अक्टूबर को घटना का दिनांक बताया.
मनोज शुक्ला सीधी – 9589792474
temple theft : सीधी जिले के कर्मचारी और अधिकारी अब पैसे कमाने के चक्कर में पड़ गए है। जहां पैसे नहीं मिले तो एक ही मंदिर की चोरी को दो बार अधिकारियों ने अपने-अपने हिसाब से चुरवा लिया। मध्य प्रदेश सरकार के दो प्रमुख अंग जो वन विभाग और पुलिस विभाग है वह अपने-अपने हिसाब से कार्यवाही कर रहा है। सीधी में मंदिर चोरी की घटना केवल एक ही होती है पर दो विभाग अपने-अपने हिसाब से ही उसको दर्शाते हैं नजर आ रहे हैं। सवाल यही उठता है कि अगर मंदिर चोरी घटना केवल एक बार हुई है तो उसे दो बार चोरी की घटना अधिकारी क्यों दिखा रहे हैं वह भी एक नहीं बल्कि 10-10 दिनों का अंतर दिखाई दे रहा है।
दरअसल पूरा मामला सीधी जिले के रौहाल क्षेत्र अंतर्गत तुर्रानाथ धाम का है। जहां नवरात्रि के पहले ही दिन यह पता चला की माता की प्रसिद्ध मूर्ति और मंदिर को चोर चुरा कर ले गए हैं और वहां पर गड्ढा कर दिया गया है। कार्यवाही और गवाह के उपरांत पुलिस को यह जानकारी लगी कि यह घटना 21 तारीख की है जहां 21 सितंबर को घटना घटित हुई है। इसके बाद आरोपियों की गिरफ्तारी होती है और फिर आरोपियों ने भी यह बताया कि हमने यहां मंदिर का नवीनीकरण करने के उद्देश्य से 21 तारीख को गड्ढा खुदवाना चाहा। इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और अपनी कार्यवाही शुरू कर दी।
temple theft : लेकिन ट्विस्ट तो तब आया जब वन विभाग की टीम भी इसमें शामिल हो गई। जहां वन विभाग की टीम ने भी पी ओ आर काट दिया। 3 अक्टूबर को पी ओ आर काटने के बाद 3 अक्टूबर को ही वन विभाग की टीम ने चोरी की घटना को दर्शा दिया। हालांकि उसने अपने हिसाब से वन के कटाई और खुदाई सहित कई मामलों को लेकर धाराएं लगाई।
जहां पैसों का खेल अब चल रहा है क्योंकि अगर 3 अक्टूबर को पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर लिया तो वहीं पर 3 अक्टूबर को ही उसमें इन धाराओं को शामिल क्यों नहीं किया गया। वन विभाग को पुलिस के साथ मिलकर इस धारा में वन विभाग की धाराओं को बढ़ा देना चाहिए था। लेकिन वन विभाग की टीम और खासकर क्षेत्रीय विभाग के अधिकारी पैसों के खेल के चक्कर में अब एक नया कूट रचित दस्तावेज तैयार कर रहे हैं।
वन विभाग के कटे हुए पी ओ आर में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि यह घटना 3 अक्टूबर की है। उसने घटना घटित होने का दिनांक 3 अक्टूबर दिखाया गया है जबकि खुद घटनाकरित करने वाले व्यक्तियों ने 21 सितंबर को यह बातें बताई है। तो फिर जब 21 तारीख को घटना करित हुई तो वन विभाग की टीम इतने दिन तक कहां सो रही थी।
temple theft : इसके अलावा वन विभाग हर क्षेत्र के अंतर्गत बीट गार्ड को इसकी कमान सौंपते हैं उसके अलावा चौकीदारों को भी रखा जाता है। अगर 21 सितंबर को घटना घटित हुई तो 3 अक्टूबर तक वन विभाग की टीम को जानकारी क्यों नहीं हुई। इसमें क्या अधिकारी कर्मचारियों की मिली भगत थी या कुछ और था इस बात की हालत की पुष्टि नहीं हो पा रही है। लेकिन घटना इतने दिन करने के बाद तीन तारीख को पी ओ आर 3 तारीख की ही डेट पर काटता है और यह दर्शाया जाता है कि 3 अक्टूबर को ही इस घटना को अंजाम दिया गया है। हालांकि यह न्यायालय के द्वारा तो स्पष्ट हो ही जाएगा।
temple theft : लेकिन दोनों विभाग में कांट्रडिक्ट बना हुआ है अब यह पैसे का खेल किस तरफ से चल रहा है इस बात की जानकारी नहीं हो पाई है पुलिस प्रशासन या वन विभाग दोनों अपने-अपने हिसाब से आखिर क्यों इस प्रकार के अपने दस्तावेजों में लिख रहे हैं इसकी भी पुष्टि हम नहीं करते हैं.
पर फिलहाल जैसे ही दोनों पत्र वायरल हुई अब लोगों में विभाग के प्रति विश्वास उठता नजर आ रहा है।