Rewa history:अष्टकोशल समिति के नायक, महाराज कुमार क्षत्रपति सिंह जूदेव बहादुर का गौरवशाली योगदान”
Rewa history : भारतीय उपमहाद्वीप की रियासतों का इतिहास अनेक अद्वितीय और साहसी शख्सियतों से भरा पड़ा है। ऐसी ही एक विलक्षण शख्सियत थे श्री महाराज कुमार क्षत्रपति सिंह जूदेव बहादुर, जो रामनगर-इटमा के प्रतिष्ठित शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्हें उनकी रणनीतिक सूझबूझ, राज्य के प्रति निष्ठा और राजनीतिक योगदान के लिए आज भी स्मरण किया जाता है।
Rewa history : क्षत्रपति सिंह जूदेव बहादुर अष्टकोशल समिति के एक महत्त्वपूर्ण सदस्य रहे। यह समिति महाराज वेंकट रमण सिंह जी (रीवा) के निधन के पश्चात गठित की गई थी। उस समय रीवा के उत्तराधिकारी क्वांर गुलाब सिंह नाबालिग थे, ऐसे में राज्य की बागडोर संभालने के लिए तत्कालीन महाराज रतलाम द्वारा इस समिति का गठन किया गया था, ताकि रीवा राज्य की शांति, सुरक्षा और संचालन सुनिश्चित किया जा सके।
Rewa history : महाराज कुमार क्षत्रपति सिंह जूदेव बहादुर ने इस समिति में रहते हुए न केवल राज्य की राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखा, बल्कि प्रशासनिक सुधारों और सामाजिक संतुलन को भी प्राथमिकता दी। वे कुशल राजनयिक, निडर योद्धा और दूरदर्शी प्रशासक थे। उनकी विशेषता यह थी कि वे युवराज होने के बावजूद जनसरोकारों से गहराई से जुड़े रहते थे। आम प्रजा के हितों की चिंता करना, गरीबों और किसानों के कल्याण हेतु प्रयास करना उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाता था।
इतिहासकार बताते हैं कि उन्होंने अपने शासनकाल में शिक्षा, संस्कृति और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान केंद्रित किया। उनके कुशल मार्गदर्शन में अष्टकोशल समिति ने रीवा राज्य को कठिन समय में भी मजबूत बनाए रखा। उनका व्यवहार विनम्र किंतु निर्णय दृढ़ होते थे — यही उनके नेतृत्व की विशेषता थी।
उनकी ख्याति केवल उनके कार्यों तक सीमित नहीं रही, बल्कि वे रीवा रियासत की संघटनात्मक संरचना को बचाने वाले ‘संरक्षक’ के रूप में भी माने जाते हैं। उन्होंने युवराज गुलाब सिंह के शासनकाल तक राज्य को सहारा दिया और रीवा की विरासत को टूटने से बचाया।
आज भी रामनगर-इटमा और आसपास के क्षेत्रों में क्षत्रपति सिंह जूदेव बहादुर का नाम सम्मान, निष्ठा और नेतृत्व का प्रतीक माना जाता है। उनके योगदान को रीवा के गौरवशाली अतीत की एक अनमोल धरोहर माना जाता है।