Mpnews:सीधी में प्रशासनिक रवैये के खिलाफ पत्रकारों का अभूतपूर्व विरोध: 70 से अधिक पत्रकारों में से केवल 6 पहुंचे प्रेस वार्ता में, मुख्यमंत्री के 2 साल पूरे होने का कार्यक्रम बना औपचारिकता
Mpnews:सीधी जिले के कलेक्ट्रेट परिसर में शनिवार को मुख्यमंत्री के दो वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रेस वार्ता उस समय पूरी तरह विवादों में घिर गई, जब जिले के पत्रकारों ने सामूहिक रूप से इसका बहिष्कार कर दिया। जिले में इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से जुड़े कुल मिलाकर 70 से अधिक पत्रकार सक्रिय हैं, लेकिन इस महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता में केवल 6 लोग ही शामिल हुए। ये सभी यूट्यूब, फेसबुक और मासिक/साप्ताहिक पत्रिकाएं संचालित करने वाले थे, जबकि शेष सभी पत्रकारों ने प्रशासनिक रवैये के विरोध में कार्यक्रम से दूरी बना ली।
प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद प्रेस वार्ता लगभग खाली हॉल में आयोजित की गई। पत्रकारों का कहना है कि यह बहिष्कार किसी एक दिन की नाराजगी नहीं, बल्कि लंबे समय से जिले में कायम प्रशासनिक उदासीनता, संवादहीनता और पत्रकारों की लगातार उपेक्षा का परिणाम है। जिला कलेक्टर स्वरोचिस सोमवंशी, पुलिस अधीक्षक संतोष कोरी, नगर पालिका सीएमओ मिनी अग्रवाल, जिला पंचायत सीईओ शैलेंद्र सिंह सहित पीडब्ल्यूडी, पीएचई और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी न तो पत्रकारों के फोन उठाते हैं और न ही जनहित से जुड़े मामलों में समय पर कार्रवाई करते हैं।
पत्रकारों का आरोप है कि जनता की समस्याओं को खबरों के माध्यम से सामने रखने के बावजूद प्रशासन द्वारा न तो संज्ञान लिया जाता है और न ही कोई जवाब दिया जाता है। इस संबंध में कलेक्टर से लेकर अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिले, ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसी उपेक्षा के विरोध में शनिवार को होने वाली प्रेस वार्ता का पूर्ण बहिष्कार किया गया।
प्रेस वार्ता के दौरान प्रभारी मंत्री दिलीप जायसवाल ने जब विरोध का कारण पूछा तो पत्रकारों ने स्पष्ट रूप से बताया कि अधिकारी न फोन उठाते हैं, न संवाद करते हैं और न ही समस्याओं पर कार्रवाई करते हैं। इस पर प्रभारी मंत्री ने कहा कि यदि ऐसा हो रहा है तो यह गंभीर विषय है और संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों से चर्चा कर जांच कराई जाएगी।
Mpnews:मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के संभागीय अध्यक्ष अखिलेश पांडे ने कहा कि जिले में पत्रकारों का न तो सम्मान किया जा रहा है और न ही उनकी खबरों को महत्व दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जब पत्रकार ही अनसुने रहेंगे तो जनता की आवाज कैसे प्रशासन तक पहुंचेगी। यही कारण है कि जिले के 70 से अधिक पत्रकारों में से केवल 6 को छोड़कर सभी ने इस प्रेस वार्ता का बहिष्कार कर प्रशासन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
