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Indian history:एक चरवाहा बना क़ातिल शहंशाह, 19 जून 1747 को नादिर शाह का खूनी अंत

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Indian history : “एक चरवाहा बना क़ातिल शहंशाह, 19 जून 1747 को नादिर शाह का खूनी अंत, जिसने कोहिनूर और दिल्ली को लूटा”

 

Indian history : 19 जून 1747 – इतिहास का वो दिन जब दुनिया की सबसे अमीर सल्तनत को लूटने वाले नादिर शाह का अंत उसके ही वफ़ादारों के हाथों हुआ। चरवाहे से तख़्त तक का सफ़र तय करने वाला यह फारसी शासक अपने दरबार में ही कत्ल कर दिया गया। कत्ल की साज़िश उसके दो सबसे नज़दीकी लोगों – निजी गार्ड मुहम्मद कुली खान और उसके घर की देखरेख करने वाले सलाहा खान ने रची थी।

नादिर शाह का नाम इतिहास में एक क्रूर शासक के तौर पर दर्ज है, जिसने 1739 में भारत पर हमला कर दिल्ली को लहूलुहान किया। तैमूर की राह पर चलते हुए उसने एशिया के बड़े हिस्से को अपने क़ब्जे में ले लिया और लाखों लोगों की जान ली। दिल्ली की गलियों में नादिर शाह के सैनिकों ने बेरहमी से कत्लेआम मचाया, जिसकी चीख़ें सदियों तक इतिहास के पन्नों में दर्ज रहीं।

उसकी लूट में शामिल थे दुनिया के दो सबसे क़ीमती हीरे – “कोहिनूर” और “दरिया-ए-नूर”, जिन्हें वह अपने साथ फ़ारस ले गया। इन हीरों के साथ-साथ अकूत सोना, चांदी और अनमोल जवाहरात भी उसकी लूट का हिस्सा बने। नादिर शाह का हमला भारत की समृद्धि पर ऐसा घाव था, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकी।

कहते हैं सत्ता जितनी तेज़ी से मिलती है, उसका अंत उतना ही ख़ौफ़नाक होता है। यही हुआ नादिर शाह के साथ। सत्ता के नशे में चूर, अपने ही दरबारियों से आंख मूंद बैठा यह बादशाह अपने अंत को नहीं भांप सका। अंततः आज ही के दिन 19 जून 1747 को उसकी तानाशाही का खून से लिखा अंत हुआ।

नादिर शाह की मौत ने एक बार फिर ये साबित किया कि इतिहास हमेशा अत्याचारियों को उनके ही अंजाम तक पहुंचा देता है।

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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