Corruption : कागज़ों में दफ़्न ‘करोड़ों का कुआं’, दोषियों के लिए नहीं कोई ‘सूखा काल’, 1431.91 लाख के जल संसाधन घोटाले पर अब तक सिर्फ दिखावटी कार्रवाई, भ्रष्ट तंत्र की जड़ें गहराई तक फैलीं
Corruption : जल संसाधन विभाग (WRD) में हुए 1431.91 लाख रुपये के महाघोटाले की जांच और कार्रवाई की कहानी भी अब मध्यप्रदेश के ‘फाइल-शासन’ का नमूना बनती जा रही है। दो महीने पहले जिला पंचायत सीईओ अंशुमन राज द्वारा जारी कड़े आदेश आज भी कागजों की कैद में हैं, जबकि गबन करने वाले अधिकारी-कर्मचारी सियासी जोड़-तोड़ से खुद को न केवल कुर्सी पर बचाए हुए हैं, बल्कि कुछ तो नए पदस्थापन की दौड़ में भी शामिल हो चुके हैं।
Corruption : वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान जनपद पंचायत कुसमी क्षेत्र में WRD ने 112 कार्यों को बिना सक्षम अनुमति के 1922.85 लाख की तकनीकी स्वीकृति दी, जिसमें से 1431.91 लाख का भुगतान ‘फास्ट ट्रैक’ पर कर दिया गया। नियमों के अनुसार, यह स्वीकृति केवल कलेक्टर या जिला सीईओ द्वारा दी जा सकती थी, लेकिन घोटाले का जाल इस कदर बुना गया कि किसी को भनक तक नहीं लगी।
सीईओ के ‘सख्त आदेश’ जमीन पर ढीले असर
सीईओ अंशुमन राज ने अप्रैल 2025 में जब इस घोटाले का पर्दाफाश किया, तब तत्कालीन मनरेगा प्रभारी, लेखा अधिकारी, डेटा मैनेजर, AE, SDO और रोजगार सहायकों सहित 30 से ज्यादा अधिकारियों-कर्मचारियों पर निलंबन, सेवा समाप्ति और वसूली के आदेश पारित किए। लेकिन आज तक न किसी को रिलीव किया गया, न ही एक रुपये की वसूली हुई।
रिकवरी सर्टिफिकेट (RCC) तक सिर्फ प्रस्तावित रह गया, 17 पंचायत सचिवों की वेतन वृद्धि रोकने का आदेश भी HRMS में पेंडिंग पड़ा है
बचाव की रणनीति ‘सुपर स्ट्रक्चर’ एक्टिव
सूत्रों के अनुसार, घोटाले में लिप्त कई अधिकारियों ने राजनीतिक संरक्षण हासिल किया है। कुछ जनप्रतिनिधियों ने ‘विकास कार्य बाधित’ होने का तर्क देकर कार्रवाई टालने का दबाव डाला।
लोकायुक्त जांच की धीमी रफ्तार का फायदा उठाया, और फ़ाइलों को रीवा कमिश्नरी व मंत्रालय में ‘रिव्यू’ के नाम पर अटका दिया।
स्थानांतरण सीजन में खुद को ‘अनिवार्य सेवा’ बताकर रिलीविंग ऑर्डर रुकवा दिए।
क्या वाकई होगी कोई कार्रवाई?
जुलाई के पहले सप्ताह में लोकायुक्त और रीवा कमिश्नर की संयुक्त जांच रिपोर्ट आने की संभावना है। यदि रिकवरी प्रमाण-पत्र (RCC) जारी होते हैं, तो संपत्तियों की कुर्की तक की कार्रवाई संभव है। वहीं पंचायत विभाग से ऑनलाइन मॉनिटरिंग डैशबोर्ड की मांग भी की गई है ताकि हर अपडेट सार्वजनिक हो।