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Sidhi news: विसर्जन के बाद देख ये दुर्दशा दिल से निकली आह…माता अगले बरस तू मत आ..

Abhinay Shukla

By Abhinay Shukla

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Sidhi news: नौ दिन तक प्यारा दरबार सजाया, रात-दिन सिर-माथा नवाया, दिल में बैठाया और अगले बरस तू जल्दी आ का जयकारा लगाकर विदा किया। पर, अब ये हाल। माता की प्रतिमाओं का विसर्जन के बाद ये बुरा हाल देखना कितना दुखदायी है। दुर्गा पूजा पंडाल सजाने वाले हजारों लोग अब क्या कहेंगे। क्या करोड़ों लोगों की धर्म- आस्था से जुड़े इस विसर्जन को सुखदायी नहीं बनाया जा सकता। नवरात्रि के बाद शनिवार को दशमी के दिन सोन नदी के कई घाटों पर मां दुर्गा की सैकड़ों प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। मूर्ति विसर्जन के बाद से सोन नदी का बुरा हाल देखने को मिल रहा है। सोन नदी के घाटों पर गंदगी सभी सरकारी प्रयासों को मुंह चिढ़ा रही है। प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद सोन नदी का गऊघाट पर स्थिति बदहाल है।

Sidhi news: कहीं लकड़ी की टुकड़े, बांस की बलियां, मिट्टी के टूटे हुए बर्तन, पानी में भीगे रंग बिरंगे कागज, प्लास्टिक की थैलियां, मां की प्रतिमाओं पर चढ़ाई गई लाल और हरे रंग की चुन्नियों और शीशे का कवर चढ़े चित्र सोन नदी के जल में पड़े हुए हैं। मूर्ति विसर्जन सम्पन्न होने के बाद हालात खतरनाक हैं क्योंकि प्रतिमाओं के साथ प्लास्टिक एवं अन्य खतरनाक अघुलनशील कचरा और विषैली सामग्री सोन नदी में तैर रही है। एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश कोगंदगी से मुक्त करने का प्रण लिया है लेकिन सोन नदी के तट पर पड़े कचरे के अंबार को देखकर ऐसा नहीं माना जा सकता कि सोन नदी को गंदगी गी से मुत्त मुक्त किया जा सकता है। घाटों का दौरा कर कोई भी यह देख सकता है कि स्वच्छ भारत के लिए की गई प्रधानमंत्री मोदी की अपील का कितना असर है। नदी के घाट कूड़े, कचरों के ढेर के नीचे दबे हुए हैं। घाटों पर चिप्स, विसकुट के खाली पैकेट और प्लास्टिक की बोतलें बिखरी पड़ी हैं। इन्हीं कचरों में खाने पीने की चीजों की तलाश करते आवारा कुत्तों का झुंड भी घूमते रहते हैं। पहले भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओं और अब देवी जगदंबे की प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद जिले के सोन नदी स्थित गाऊघाट समेत कई घाटों के किनारे निर्माण सामग्री पड़ी हुई दिखाई दे रही है। यहीं पर पूजन सामग्री भी लावारिस अवस्था में पड़ी नजर आ रही है।

Sidhi news: लापरवाही का आलम है कि जिम्मेदारों द्वारा अभी तक घाटो से कचरा व बांस लकडियों को बाहर नहीं निकाला जा सका है। सनातन हिन्दु धर्म में मिट्टी से बनी प्रतिमाओं को नदी तालाबों में विसर्जन करने की परंपरा सदियों से कायम हैं। इसी के तहत दशहरे के दिन शाम से लेकर देर रात तक सोन नदी, महान नदी सहित छोटी-बड़ी नदियों में देवी महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया।

क्या किया जाए जो ऐसा न हो

Sidhi news: ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। हर साल भक्त श्रृद्धा भाव से मां दुर्गा को घर लाते हैं अथवा पंडाल में विराजमान करते हैं। विधि-विधान से पूजन करते हैं। मां का मनमोहक भोग लगाते हैं। फिर महोत्सव खत्म होते ही पंडाल से दुर्गा के विसर्जन की जोरदार तैयारियां करते हैं। विसर्जन के बाद घाटों पर जो दृश्य देखने को मिलता है वह किसी अपराध से कम नहीं है। इस अपराध से बचने के लिए जरूरी है कि प्रतिमाएं छोटी रखी जाएं, जल में जल्द घुलनशील तत्वों से बनाई जाएं या भूविसर्जन किया जाए या कुछ और। कुछ भी हो पर उपाय सोचिए वरना कह दीजिए मां अगले बरस तू मत आ।

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