Bhind news : कागजों में चल रहे मदरसों में आधे हिंदू बच्चे जिन्हें पता भी नहीं उनका नाम मदरसों में दर्ज है।
Bhind news: मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में मदतसों में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। यहां पर उर्दू पढ़ाने वाले मदरसों में छात्रों की संख्या बढ़ाकर दिखाने हिन्दू बच्चों के नाम भी मदरसों में दर्शा दिए गए हैं। ना तो बच्चों को और ना ही अभिभावकों को उनके मदरसों में नाम होने की जानकारी है। अब जिला प्रशासन मामले में जांच के बाद कार्यवाही की बात कह रहा है।
मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में मुस्लिमों की आबादी काफी कम है वहीं आबादी के अनुपात में मदरसों की संख्या काफी अधिक है। भिण्ड जिले में 67 मदरसे संचालित हैं। ऐसे में उर्दू बोर्ड से मान्यता प्राप्त इन मदरसों में जमकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है । इन मदरसों में कागजों में मुस्लिमों के साथ ही हिन्दू बच्चों के नाम भी दर्शाए गए हैं।
Bhind news : लेकिन हैरत की बात यह है कि जिन हिंदू बच्चों का मदरसों में एडमिशन दिखाया गया है उन बच्चों और उनके परिजनों को इस बारे में कुछ भी पता नहीं है। इतना ही नहीं जिन हिंदू बच्चों का कागजों में एडमिशन दिखाया गया है हकीकत में वे बच्चे मदरसों में नहीं बल्कि निजी और सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। कई तो उस क्षेत्र में भी नहीं रहते।
दरअसल यह पूरा फर्जीवाड़ा सरकार से मिलने वाले विभिन्न प्रकार के शासकीय अनुदान, खाद्यान्न और मिड डे मील का पैसा डकारने के लिए किया जा रहा है। शहर के बी टी आई रोड पर संचालित मदरसा दीन ए अकबर, मदरसा हुसैनी प्रोग्रेस फॉर ओनली गर्ल्स और सुभाष नगर में संचालित मदरसा नवी उर्दू में 50% के लगभग हिंदू छात्र कागजों में दर्ज हैं।
Bhind news : इनमें से कोई भी छात्र कभी मदरसे में पढ़ने नहीं गया और ना ही उनके परिजनों ने कभी उनका एडमिशन मदरसों में कराया है। इसमें कई 18 से 20 साल के छात्र कक्षा 5 और 8 में दर्ज हैं। कई छात्र कई साल से भिंड शहर में ही नहीं रह रहे हैं उसके बाद भी उनके एडमिशन अनवरत मदरसों में चल रहे हैं।
मामले की जानकारी सामने आने के बाद विस्तार न्यूज़ ने ग्राउंड पर पहुंचकर हकीकत जानने का प्रयास किया जिसमें सामने आया कि कई बच्चे तो वास्तव में फर्जी तरीके से मदरसों में दर्ज हैं जबकि मदरसों के आसपास रह रहे हिंदू मजदूरों के कुछ बच्चे मदरसों में पढ़ने जाते हैं और उन्हें मुस्लिम बच्चों के साथ ही तालीम दी जाती है।
फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद मदरसों से बोर्ड भी हटा दिए गए। जब हम मौके पर पहुंचे तो लोगों ने बताया कि इसी जगह पर मदरसा संचालित होता था लेकिन अब वहां पर कोई बोर्ड नहीं लगा है। एक परिजन का तो कहना है कि उन्होंने एडमिशन कराया था लेकिन अब जब टीसी मांग रहे हैं तो मदरसा संचालक बच्चों की टीसी देने से मना कर रहे हैं।
मदरसे केवल एक कमरे में ही संचालित हो रहे हैं जिसमें दस से ज्यादा बच्चे पढ़ने नहीं आते। मामले में जब मदरसों के नोडल अधिकारी से बात की गई तो वह बिना जवाब दिए कैमरे से भागते नजर आए। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि जांच समिति गठित कर मामले की जांच की जा रही है।