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Indian history:फतेहपुर सीकरी में पहली बार आई नहर, किसानों में खुशी की लहर

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Indian history: फतेहपुर सीकरी में पहली बार आई नहर, किसानों में खुशी की लहर

फतेहपुर सीकरी, 1908: उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक नगर फतेहपुर सीकरी में पहली बार नहर के पानी ने दस्तक दी है। वर्षों से पानी की कमी और सूखे से जूझ रहे इस क्षेत्र के किसानों के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है। हाल ही में सामने आई एक ऐतिहासिक तस्वीर में ग्रामीणों को पहली बार नहर का पानी देखते हुए देखा जा सकता है। यह तस्वीर 1908 ई. की बताई जा रही है, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

गांववालों के चेहरे पर खुशी

Indian history : इस तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि कैसे ग्रामीण बच्चे, बूढ़े और युवा नहर के किनारे खड़े होकर अचरज और खुशी से भरी निगाहों से बहते पानी को निहार रहे हैं। कुछ लोग हाथ जोड़कर जल को प्रणाम कर रहे हैं, तो कुछ इसे छूकर अपनी किस्मत पर यकीन करने की कोशिश कर रहे हैं।

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इस इलाके में पानी की भारी किल्लत थी। खेती पूरी तरह बारिश पर निर्भर थी, और कई बार सूखे के कारण फसलें बर्बाद हो जाती थीं। लेकिन जब पहली बार नहर बनाई गई, तो यह किसानों के लिए एक नए युग की शुरुआत थी।

कैसे बनी यह नहर?

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान 1900 के दशक की शुरुआत में पानी की समस्या को देखते हुए इस नहर के निर्माण की योजना बनाई गई थी। इसे आगरा क्षेत्र से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए गए। वर्षों की मेहनत के बाद आखिरकार 1908 में यह नहर बनकर तैयार हुई और किसानों को पहली बार सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलने लगा।

ऐतिहासिक तस्वीर हो रही वायरल

अब इस घटना से जुड़ी एक पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर छाई हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फोटो किसी ब्रिटिश अफसर या स्थानीय फोटोग्राफर द्वारा ली गई होगी, जो उस समय नहर का उद्घाटन देखने आए थे। इतिहासकारों के अनुसार, यह तस्वीर तत्कालीन ग्रामीण समाज के लिए जल संसाधनों के महत्व को दर्शाती है।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

Indian history : फतेहपुर सीकरी के कई लोगों के पूर्वजों ने इस ऐतिहासिक पल को जिया था। आज उनकी अगली पीढ़ी जब यह फोटो देखती है, तो गर्व महसूस करती है कि कैसे उनके पुरखों ने पानी के लिए संघर्ष किया और आखिरकार सफलता पाई।

यह तस्वीर सिर्फ एक ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं, बल्कि जल संचयन और सिंचाई व्यवस्था के विकास की एक प्रेरणादायक गाथा भी है।

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Manoj Shukla

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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