Rewa में विवादित चेहरों को पद, परिवारवाद पर उठे सवाल,मप्र बीजेपी की कार्यकारिणी घोषणाओं पर मचा घमासान
Rewa : मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जिला कार्यकारिणी घोषणाओं ने संगठन को मजबूत करने के बजाय विवादों का सैलाब खड़ा कर दिया है। प्रदेश के 62 संगठनात्मक जिलों में से 30 से अधिक जिलों की कार्यकारिणी घोषित हो चुकी हैं, लेकिन कई जिलों में घोषित पदाधिकारियों के नामों ने अंदरूनी कलह को हवा दी है।
रीवा की सूची में अपराधियों और निष्कासित नेता को पद
Rewa जिला अध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता ने बुधवार रात प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की सहमति से 19 पदाधिकारियों की सूची जारी की। इसमें सात उपाध्यक्ष, तीन महामंत्री, सात मंत्री और वित्त विभाग के दो पदाधिकारी शामिल हैं।
सबसे बड़ा विवाद उस समय खड़ा हो गया, जब चार महीने जेल काट चुके और भाजपा से निष्कासित मनीष चंद्र शुक्ला को जिला उपाध्यक्ष बना दिया गया। इसी तरह दभोरा सहकारी बैंक के संड्री घोटाले में आरोपी बाबूलाल यादव को जिला मंत्री का पद दिया गया। बताया जा रहा है कि उनका नाम गुढ़ विधायक की सिफारिश पर जोड़ा गया।
ब्राह्मण नेताओं का दबदबा
सूची में ब्राह्मण समुदाय का वर्चस्व साफ दिख रहा है। सात उपाध्यक्षों में प्रबोध व्यास, मनीषा पाठक, अशोक सिंह गहरवार, शरद साहू और राजेश प्रताप सिंह जैसे अधिकांश नाम ब्राह्मण वर्ग से हैं। महामंत्री पद पर विवेक गौतम (पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के भतीजे), उमाशंकर पटेल और जीवनलाल साकेत को जगह दी गई है। मंत्रियों में कल्पना पटेल, रविराज विश्वकर्मा, प्रणेश ओझा, गीता मांझी, बृजेंद्र गौतम, सुमन शुक्ला और बाबूलाल यादव शामिल किए गए हैं। वित्त विभाग में वासुदेव थरवानी को कोषाध्यक्ष और अल्कानारायण केशरवानी को सह-कोषाध्यक्ष बनाया गया। कुल 19 पदाधिकारियों में पांच महिलाओं को शामिल करना सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
परिवारवाद और अन्य जिलों के विवाद
रीवा तक ही विवाद सीमित नहीं है। मऊगंज में गिरीश गौतम के पुत्र राहुल गौतम को उपाध्यक्ष बनाए जाने पर उन्हें “एक परिवार, एक पद” नीति के तहत इस्तीफा देना पड़ा। मंडला जिले में कैबिनेट मंत्री संपतिया उइके की पुत्री और सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन को हटाया गया। सिंगरौली में राजेश तिवारी ने लगातार तीसरी बार उपाध्यक्ष बनने के बाद उम्र का हवाला देकर पद छोड़ दिया, जबकि उनकी नजर जिला अध्यक्षी पर थी। आगर मालवा में सौन्थिया राजपूत समाज ने जिला अध्यक्ष ओम मालवीय पर अक्षमता का आरोप लगाते हुए अधिक प्रतिनिधित्व की मांग उठाई और कांग्रेस से तुलना कर असंतोष जताया।