---Advertisement---

Dulhan chudi : बंगाली दुल्हन की कलाई पर सजती विरासत: रंगीन चूड़ियों में छिपे सौंदर्य और संस्कृति के अनमोल रंग

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

Published on:

---Advertisement---

Dulhan chudi : बंगाली दुल्हन की कलाई पर सजती विरासत: रंगीन चूड़ियों में छिपे सौंदर्य और संस्कृति के अनमोल रंग

परंपरा की चमक, कलाई की शान

Dulhan chudi : बंगाल की पारंपरिक दुल्हन चूड़ियाँ सिर्फ फैशन नहीं, बल्कि सदियों पुरानी एक सांस्कृतिक विरासत हैं, जो आज भी शादियों और त्योहारों में विशेष महत्व रखती हैं। हर रंग की चूड़ी एक भावनात्मक कहानी कहती है—लाल में सुहाग की आभा, हरे में प्रेम और समृद्धि की चमक। इन चूड़ियों की खास बात ये है कि इन्हें पहनते ही दुल्हन न सिर्फ सजती है, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा का भी हिस्सा बन जाती है।

20250706 092422 News E 7 Live

कांच से लेकर क्रिस्टल तक की जादुई कारीगरी

Dulhan chudi : बंगाली चूड़ियाँ पारंपरिक रूप से कांच, धातु, रेशमी धागों और सोने-चांदी की महीन कारीगरी से बनाई जाती हैं। बागबाजार और नईहाटी जैसे इलाकों में कारीगर आज भी इन्हें हाथों से गढ़ते हैं। इन चूड़ियों पर की गई बारीक मीनाकारी, चमकदार पत्थर और झिलमिलाते मोती हर कलाई को राजसी आभा देते हैं। हरे-लाल के साथ अब नीला, पीला और गुलाबी रंग भी ट्रेंड में है।

20250706 092435 News E 7 Live

एक परंपरा जो हर दुल्हन की मुस्कान में बसती है

बंगाल में इन चूड़ियों की खरीदारी सिर्फ फैशन नहीं, बल्कि एक भावनात्मक प्रक्रिया है। मां, मामी या दादी द्वारा चुनी गई चूड़ियाँ दुल्हन के लिए आशीर्वाद का प्रतीक होती हैं। यही कारण है कि ये चूड़ियाँ केवल सजावटी गहना नहीं, बल्कि एक यादगार विरासत हैं जो विवाह के बाद भी महिला की कलाई में वर्षों तक चमकती रहती हैं।

20250706 094236 News E 7 Live

जब परंपरा मिले मॉडर्न अंदाज़ से

आज की दुल्हनें जहां पारंपरिक लाल बनारसी साड़ी पहनती हैं, वहीं इन चूड़ियों को मॉडर्न गाउन या इंडो-वेस्टर्न लुक के साथ भी मिलाया जा रहा है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अब डिज़ाइनर बंगाली चूड़ियों की मांग बढ़ी है, लेकिन हाथ से बनी चूड़ियों की बात ही कुछ और है।

निष्कर्ष

बंगाली दुल्हन की चूड़ियाँ केवल कलाई का सौंदर्य नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा और भावनाओं की जीवंत प्रतीक हैं। ये चूड़ियाँ एक दुल्हन को उसकी जड़ों से जोड़ती हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए संस्कृति की चमक छोड़ जाती हैं।

Follow On WhatsApp
Follow On Telegram
Manoj Shukla

Manoj Shukla

मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

---Advertisement---

Leave a Comment