“मंत्री–विधायक भी फेल! सीधी में कलेक्टर और DEO की ‘शिक्षा’ के आगे झुके सियासी आदेश”
सीधी जिले की नौकरशाही इन दिनों कुछ ज़्यादा ही आत्मनिर्भर हो गई है। मंत्री हों या विधायक — आदेश अगर पसंद न आया, तो सीधा “डिलीट” कर दिया जाता है। ताज़ा मामला शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भरतपुर का है, जहां प्रभारी नियुक्ति को लेकर सियासत और प्रशासन की जंग खुलकर सामने आ गई है।
दरअसल, पूर्व विधायक शरदेंदु तिवारी ने प्रभारी मंत्री को पत्र लिखकर शिक्षक शशि भूषण तिवारी को भरतपुर विद्यालय का प्रभारी बनाए जाने की सिफारिश की थी। मंत्री महोदय ने भी इस सिफारिश को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर सीधी स्वरोचिस सोमवंशी को पत्र फॉरवर्ड कर दिया और साफ निर्देश दिए कि आदेश का पालन किया जाए।
लेकिन हुआ इसके उलट! न कलेक्टर साहब ने ध्यान दिया, न जिला शिक्षा अधिकारी DEO पवन सिंह ने। दोनों ने मिलकर मंत्री और पूर्व विधायक की सिफारिश को “फाइलों के कब्रिस्तान” में दफन कर दिया और अपनी मर्ज़ी से प्रेमलाल मिश्रा, जो महाराजपुर में पदस्थ हैं, को भरतपुर स्कूल का प्रभारी बना डाला।
अब जिले में चर्चा गर्म है कि जब मंत्री और विधायक की बात ही न सुनी जाए, तो फिर आम शिक्षक की औकात क्या रह जाती है? शिक्षा विभाग का यह “शॉर्टकट प्रशासन” अपने ही नियम-कायदों का पाठ कुछ ज़्यादा ही रचनात्मक ढंग से पढ़ा रहा है।
बताया जा रहा है कि यह मामला अब सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है। लोग चुटकी ले रहे हैं कि “सीधी जिले में मंत्री नहीं, कलेक्टर और DEO ही असली ‘प्रभारी’ हैं!”
कई लोग इसे लोकतंत्र नहीं, “लोकल तंत्र” की मिसाल बता रहे हैं — जहां सत्ता के आदेश फाइलों में सो जाते हैं और अधिकारियों की कलम ही भाग्य विधाता बन जाती है।
