Ganesh chaturthi : अनोखे भगवान गणेश जिन्हे देश में चिंतामन सिद्ध गणेश की चार स्वयंभू प्रतिमाएं है विराजमान
अपने आप मे प्राचीन इतिहास को समेटे है सीहोर के सिध्द गणेश मंदिर
यहां उल्टा सातिया बनाने से सीधे हो जाते हैं बिगड़े काम
Ganesh chaturthi : गणेश चतुर्थी का त्यौहार अब समीप आ गया है, जहा देश में चिंतामन सिद्ध गणेश की चार स्वयंभू प्रतिमाएं हैं, जिनमें से एक सीहोर जिले मे में विराजित हैं। वही अनोखी इसलिए भी है क्युकी यह कमल से प्रकट हुई भगवान गणेश की प्रतिमा जमीन के अंदर आधी धंसी हुई है। यह एमपी की राजधानी भोपाल के निकट बसे हुए सीहोर जिला मुख्यालय से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है चिंतामन गणेश मंदिर जो वर्तमान में देशभर में अपनी ख्याति और भक्तों की अटूट आस्था को लेकर पहचाना जाता रहा है।
Ganesh chaturthi : वही प्राचीन चिंतामन सिद्धि गणेश को लेकर पौराणिक इतिहास काफ़ी प्रसिद्ध है। वही जानकारों के अनुसार चिंतामन सिद्धि भगवान गणेश की देश में चार स्वंयभू प्रतिमाएं विराजमान हैं। वही इनमें से एक रणथंभौर सवाई माधोपुर राजस्थान, दूसरी उज्जैन स्थित अवन्तिका, तीसरी गुजरात में सिद्धपुर और चौथी सीहोर में चिंतामन गणेश मंदिर में विराजित हैं। जहा इस मंदिर का इतिहास करीब दो हजार वर्ष पुराना है।
बताया जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य सीवन नदी से कमल के पुष्प के रूप में प्रगट हुई है। वही भगवान गणेश को वो रथ में लेकर जा रहे थे। तभी सुबह होने पर रथ जमीन में धंस गया था। रथ में रखा कमल पुष्प गणेश प्रतिमा में परिवर्तित होने लगा था। जिसके बाद प्रतिमा जमीन में धंसने लगी थी। बाद में इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण भी कराया गया था। जहा आज भी यह प्रतिमा जमीन में आधी धंसी हुई है।
Ganesh chaturthi : आइए मंदिर का जानते है इतिहास
आज हम आपको इस मंदिर और मूर्ति की स्थापना के इतिहास बारे में बताने वाले है जहा पूर्वजों के अनुसार लगभग 2 हजार साल पहले परमार वंश के राजा उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने इस मंदिर का निर्माण कार्य कराया था। जहा मंदिर में स्थापित श्रीगणेश जी की मूर्ति खड़ी हुई है। जहा इस मूर्ति का आधा हिस्सा जमीन के अंदर धंसा हुआ है। वही इसलिए भक्तों को आधी मूर्ति के ही दर्शन होते हैं। वही यह स्वयंंभू प्रतिमा है इस मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् 155 में महाराज विक्रमादित्य द्वारा गणेशजी के मंदिर का निर्माण श्रीयंत्र के अनुरूप करवाया गया था।
वही राजा विक्रमादित्य के पश्चात इस मंदिर का जीर्णोद्धार एवं सभा मंडप का निर्माण भी बाजीराव पेशवा प्रथम ने करवाया था। इसके अलावा शालीवाहन शक, राजा भोज, कृष्ण राय तथा गौंड राजा नवल शाह आदि ने मंदिर की व्यवस्था में सहयोग भी किया था। जहा नानाजी पेशवा विठूर आदि के समय मंदिर की याति व प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है। वही अब चिंतामन सिद्ध गणेश जी होने से एवं 84 सिद्धों में से अनेक तपस्वियों ने यहां सिद्धि प्राप्त की है।
Ganesh chaturthi : विश्व मूर्ति की और एक खास बातचीत की इस मूर्ति में हीरे जड़े हुए थे लेकिन ने चोरों ने मूर्ति को भी नहीं छोड़ा था। आपको बता दें कि गणेशजी के मंदिर में विराजित गणेशजी की प्रतिमा की आंखों में हीरे जड़े हुए थे। जहा 150 वर्ष पूर्व तक मंदिर में ताला नहीं लगाया जाता था तब चोरों ने मूर्ति की आंखों में लगे हीरे चोरी कर लिए गए थे तथा गणेशजी की प्रतिमा की आंखों में से 21 दिन तक दूध की धारा भी बहने लगी थी। तब भगवान गणेशजी ने पुजारी को स्वप्र देकर कहा कि में खंडित नहीं हुआ हूं। तुम मेरी आंखों में चांदी के नेत्र भी लगवा सकते हो। तभी से भगवान गणेश की आंखों में चांदी के नेत्र लगाए गए थे।
यहां के गणेश से भगवान की प्रसिद्ध का एक और भी मैने देखा जा सकता है अगर आप यहां उल्टा सातिया बनाते हैं तो आपके सारे काम सही हो जाते हैं. ऐेतिहासिक चिंतामन गणेश मंदिर पर देशभर से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं। श्रद्धालु भगवान गणेश के सामने अर्जी लगाकर मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं और मन्नत पूर्ण होने के पश्चात सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। ऐसा करने पर बिगड़े काम सीधे हो जाते हैं और सारी चिंताएं भी खत्म हो जाती है। इसलिए यहां के गणेशजी देशभर में चिंतामन गणेशजी के नाम से जाने जाने लगे हैं।
Ganesh chaturthi : इसके अलावा यहाँ हर साल गणेश चतुर्दशी से दस दिन लगातार मेला लगता है। यहाँ इस साल 10 दिवसीय गणेश महोत्सव 7 सितंबर से शुरू हो जाएगा। साथ ही 10 दिवसीय यह पावन महोत्सव देश के सभी हिस्सों के भक्त पहुंचते हैं। इसके अलावा हर उम्र के लोग इस महोत्सव का इंतजार करते हैं।
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