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Harchhath festival:आखिर क्यों मनाया जाता है हरछठ का त्यौहार

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Harchhath festival : बलराम (बलभद्र) जयंती को कहा जाता है हर छठ

Harchhath festival : आज हम आपको हर छठ के बारे में बताने वाले हैं कि आखिर हर छठ क्या है और यह क्यों मनाया जाता है और इसकी विशेषता क्या है साथ ही इसका महत्व और वह क्यों मनाने के लिए लोग बड़े उत्साह पूर्वक इसे मानते हैं।

आपको बता दें कि बलदेव छठ यानी हरछठ का सम्बन्ध बलराम जी से है। जहा भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी को ब्रज के राजा और भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज यानी बड़े भाई बलदेव जी का जन्मदिन ब्रज में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है।

जाने आखिर क्या बलराम जंयती का महत्व

Harchhath festival : इस समय हम जानते है की बलराम जंयती क्या है उसका क्या महत्व है। इसका पर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है। जहा शास्त्रों के अनुसार द्वापर युग में शेषनाग ने भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम के रूप में जन्म लिया था। वही बलराम का अस्त्र हल है इसलिए बलराम को हलधर भी कहा जाता है। वही इसके अलावा बलराम ने मूसल को भी धारण किया है।

जहा बलराम जंयती के अन्य नाम भी है। इस जंयती को हलषष्ठी और हरछठ भी कहा जाता है। इस बलराम जंयती के दिन धरती से पैदा होने वाले अन्न को ग्रहण किया जाता है। साथ ही इनकी जयंती मे दूध और दही का सेवन नहीं किया जाता। यह दिन संतान संबंधी परेशानियों के लिए भी उत्तम माना जाता है। इसमें जिन महिलाओं को संतान की प्राप्ति नहीं होती वह इस व्रत को पूरे विधि विधान से करती हैं। जहा संतान संबंधी परेशानियों के निवारण के लिए बलराम जंयती काफी शुभ मानी जाती है।

Harchhath festival : क्या आपको पता है की बलराम कौन थे

हालांकि बलराम को कौन नहीं जानता है लेकिन अगर आप नहीं जानते हैं तो आपको हम लेख में सारी जानकारी। वेद वा पुराणों के अनुसार बलराम को भगवान श्री कृष्ण का बड़ा भाई माना जाता है। भगवान बलराम शेषनाग के ही अवतार थे। बलराम को अत्याधिक शक्तिशाली भी माना जाता था। बलराम ने ही दुर्योधन और भीम को गदा युद्ध सीखाया था। जहा बलराम भी श्री कृष्ण की तरह ही देवकी की संतान थे। बलराम देवकी की संतान थे।वही कंस देवकी के सभी बच्चों की हत्या कर देता था। देवकी और वासुदेव के तप के बल पर यह सांतवा गर्भ वासुदेव की पहली पत्नी के गर्भ में स्थापित हो गया। जहाँ वासुदेव की पहली पत्नी के आगे यह समस्या थी कि वह इस बच्चे को कैसे पाले। साथ ही क्योंकि उस समय वासुदेव कंस की करागार में बंद थे। वही इसलिए बलराम के जन्म लेते ही उन्हें नंद बाबा के यहां पलने के लिए भेज दिया।

जाने बलराम जी की कथा

आपको हम भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम की कथा को सुनाने जा रहे हैं जो की काफी महत्वपूर्ण है इस त्यौहार के लिए। जहा पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव एक ग्वालिन स्त्री गर्भवती थी। उसके प्रसव में कुछ समय ही बाकी था। लेकिन वह अपनी स्थिति की परवाह न करते हुए भी दूध दही को बेचने के लिए निकल पड़ी।

वही घर से कुछ दूर जाने पर पर ही उसे प्रसव पीड़ा शुरु हो गई और उसने झरबेरी की ओट में एक बच्चे को जन्म दे दिया। उसी दिन हल षष्ठी भी थी। जहा वह ग्वालिन थोड़ी देर आराम करने के बाद फिर से अपने काम पर चली गई। इससे हल षष्ठी का व्रत करने वाले लोगो का व्रत खंडित हो गया।

साथ ही वाह ग्वालिन की इस गलती के कारण झरबेरी के नीचे लेटे उसके बच्चे को किसान का हल लग गया। जहा वाह किसान ने जब उस बच्चे का रोना सुना तो वह अत्यंत ही दुखी हुआ और बच्चे को झरबेरी के कांटों से टांके लगाकर भाग गया। वाह जब ग्वालिन वापस लौटी तो उसे अपने बच्चे मृत पाया ।

 

जहा अपने बच्चे को देखकर अपना किया हुआ पाप याद आया। उसने तुरंत ही लोगों को जाकर पूरी बात बताई और अपने बच्चे की दशा के बारे में भी बताया। उसके इस प्रकार से क्षमा मांगने पर सभी गांव वालों ने उसे क्षमा कर दिया। जब ग्वालिन वापस उसी स्थान पर आई तो उसका बच्चा जिंदा था और वह खेल रहा था।

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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