Hindu culture : संध्या काल में जाने दीप जलाने का आखिर क्या है महत्व
आपको बतादे की हिन्दू धर्म में संध्या काल में भगवान के सामने और तुलसी के पास में दीपक जलाने का विधान लिखा हुआ है, इसी को ‘सांध्य दीप’ भी कहा जाता हैं।
Hindu culture : वही शास्त्रों में लिखें अनुसार लक्ष्मी प्राप्ति, पापों के नाश, आरोग्य की प्राप्ति व अविद्या रूपी अंधकार यानी शत्रुओं के नाश के लिए सांध्य दीप जलाने का बहुत महत्व भी बताया गया है।
दीपक जलाते समय जाने किस बात का रखना चाहिए ध्यान
आपको हशम बतादे की दीपक को दीवट या थोड़े से चावलों पर ही रखकर हमेसा दीप जलाना चाहिए। वही सीधे जमीन पर दीपक जलाकर नहीं रखना चाहिए। जहा इसका कारण यह बताया गया है कि यदि कभी भूल वश दीपक बढ़ (बुझ) जाए तो चावलों या दीवट में रखे होने पर उसका दोष नहीं माना जाता है। इसके अलावा दीपक जलाने के बाद उसे प्रकाश रूप परमात्मा मान कर इस मंत्र से नमस्कार करना चाहिए।
Hindu culture : जाने आखिर क्या है नमस्कार का मन्त्र
दीपो ज्योति: परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन: ।
दीपो हरतु मे पापं सांध्यदीप ! नमोस्तु ते ।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुख सम्पदम् ।
शत्रुबुद्धि विनाशं च दीपज्योति नमोऽस्तु ते ।।
अर्थात्—हे सांध्य दीप ! आपकी ज्योति (प्रकाश) परब्रह्म परमात्मा है, आपका प्रकाश भगवान जनार्दन का रूप है। यह प्रकाश मेरे पापों का नाश कर दे, मैं आपको नमस्कार करता हूँ। हे सांध्य दीप ! आपका प्रकाश मंगलकारी, कल्याण करने वाला, आरोग्य व सुख-सम्पत्ति देने वाला और शत्रु की बुद्धि भ्रष्ट करने वाला है, मैं आपको नमस्कार करता हूँ।
चलिए करते है सांध्या दीप जलाने की सुन्दर व्याख्या
भगवान सूर्य बुद्धि के देवता हैं। सूर्य अस्त होने पर मनुष्य की बुद्धि-विवेक कमजोर हो जाते हैं और वासनाएं प्रबल हो जाती हैं। संध्या काल प्रदोष काल है। इस समय शंकरजी की पूजा होती है । इसीलिए संध्या काल में भक्ति करने (जप, कीर्तन, भजन, आरती) का बहुत महत्व है।
आपको बतादे की संध्या के समय मे भगवान के नाम का दीपक जलाना चाहिए। जहा भगवान को दीपक की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि परमात्मा स्वयं प्रकाशमय है। भगवान का श्रीअंग करोड़ों सूर्यों के प्रकाश के समान है—‘कोटिसूर्य समप्रभ’ । इसलिए भगवान जहां विराजते हैं वहां अंधेरा आता ही कभी नहीं है। जहा दीपक के प्रकाश की आवश्यकता मानव को है। मानव के मन में अज्ञान का, वासना का अंधकार रहता है। इसलिए भगवान के समक्ष दीपक जलाकर प्रार्थना करनी चाहिए मेरे अंदर आपका प्रकाश (सद्बुद्धि) सदैव बनी रहे।
सामान्यतः यह कहते हैं दीपक जोड़ दो अर्थात् जला दो। इसका सीधा अर्थ है कि अपने मन-बुद्धि को प्रकाश रूपी परमात्मा से जोड़ देना। वही जब बुद्धि परमात्मा से जुड़ जाती है, तब वह सद्बुद्धि हो जाती है। जहां सद्बुद्धि है वहां धर्म है, जहां धर्म है वहीं लक्ष्मी निवास करती है।
Hindu culture : आइए जानते है संध्या काल में क्या न करें
आपको ज्ञात होगा की संध्या काल प्रकाश रूप परमात्मा से जुड़ने का समय है इसलिए इस समय न तो खाना खाना चाहिए क्योंकि इससे अस्वस्थता आती है, न पढ़ना चाहिए क्योंकि पढ़ा हुआ याद नहीं रहता और न ही काम भावना रखनी चाहिए क्योंकि ऐसे समय के बच्चे आसुरी गुणों के होते हैं। यह समय केवल भगवान से जुड़ने और उनको स्मरण करने का है।
संध्या मे जरूर करें आरती
संतों ने भगवान की आरती की तरह संध्या काल की आरती का भी बहुत महत्व बताया है, इसे ‘संध्या आरती’ कहते हैं। एक बहुत ही सुन्दर व भावपूर्ण संध्या आरती पाठकों की सुविधा के लिए दी गयी है। इसको यदि कंठस्थ करके सांध्य दीप जलाते समय गा लिया जाए तो मन में बहुत शान्ति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
व्रज में संध्या काल को संजा कहते हैं, चूंकि यह व्रज में गाया जाने वाला भजन है इसलिए इसमें संध्या के लिए ‘संजा’ शब्द का प्रयोग हुआ है। इस संध्या आरती में साधक अपने मन को सांध्य दीप जलाकर ईश्वर को स्मरण करने के लिए कह रहा है।