Hindu culture : जाने आखिर ऐसा क्यू होता है की देवताओं के वाहन पशु ही क्यों होते हैं
Hindu culture : आज हम आपको इस लेख में बेहद ही शानदार चीज दिखाने वाले हैं जो आप अंजान अभी तक है आखिर देवताओं के वाहन पशुओं को ही माना गया है। जहा भगवान शिव के नंदी से लेकर मां दुर्गा के शेर तक और विष्णु भगवान के गरूढ़ से लेकर इंद्र के ऐरावत हाथी तक लगभग सभी के देवी-देवता पशुओं पर ही सवार होते हैं।
आखिर क्यू सभी देवताओं को पशुओं की सवारी की आवश्यकता क्यों पडती थी। जब की वे तो अपनी दिव्य शक्तियों से पलभर में कहीं भी आ-जा सकते थे।
Hindu culture : चलिए जानते है की क्यों हर देवता के साथ कोई पशु जुड़ा हुआ है
आपको इसमें अध्यात्मिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारणों से भारतीय विद्वानों ने सभी देवताओं के वाहनों के रूप पशु-पक्षियों को जोड़ा है। जहा वास्तव में देवताओं के साथ पशुओं को उनके व्यवहार के अनुरूप भी जोड़ा गया है।
इसके अलावा दूसरा सबसे बड़ा कारण है प्रकृति की रक्षा।
वही अगर पशुओं को भगवान के साथ नहीं जोड़ा जाता तो शायद पशु के प्रति हिंसा का व्यवहार और ज्यादा सबसे ज्यादा होता है।
Hindu culture : वही हर देवता के साथ एक पशु को जोड़ कर भारतीय विद्वानो ने प्रकृति और उसमें रहने वाले जीवों की रक्षा का एक संदेश दिया है। जहा सभी पशु किसी न किसी डी देवता का प्रतिनिधि है, उनका वाहन है, इसलिए इनकी हिंसा नहीं करनी चाहिए। जिसमे मूलत: इसके पीछे एक यही संदेश सबसे बड़ा है।
इतना ही नहीं गणेश जी ने चूहों को यूं ही चुन लिया था या नंदी शिव की सवारी यूं ही बन गए है।
आपको बतादे की यहाँ सभी देवताओं ने अपनी सवारी बहुत ही विशेष रूप से चुनी है। साथ ही यहां तक कि उनके वाहन उनकी चारित्रिक विशेषताओं को भी बताया करते हैं।
Hindu culture : भगवान गणेश और मूषक का सम्बन्ध
आपको बतादे की भगवान श्री गणेश जी का वाहन मूषक है। यह मूषक शब्द संस्कृत के मूष से बना है जिसका अर्थ है लूटना या चुराना होता है। जहा सांकेतिक रूप से मनुष्य का दिमाग मूषक, चुराने वाले यानी चूहे जैसा ही होता है। वही अब यह स्वार्थ भाव से गिरा होता है। भगवान श्री गणेश जी का चूहे पर बैठना इस बात का संकेत है कि उन्होंने स्वार्थ पर विजय पा गई है और जनकल्याण के भाव को अपने भीतर जागृत किया है।
शिव और नंदी का संगम
Hindu culture : भगवान शिव भोले भाले है और सीधे साधे है, सीधे चलने वाले लेकिन कभी-कभी भयंकर क्रोध करने वाले देवता हैं तो उनका वाहन हैं नंदी यानि बैल है। वही संकेतों की भाषा में बैल शक्ति, आस्था व भरोसे का प्रतीक होता है। जहा इसके अतिरिक्त भगवान के शिव का चरित्र मोह माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला बताया गया है। वही सांकेतिक भाषा में बैल यानी नंदी इन विशेषताओं को पूरी तरह चरितार्थ करते हैं। इसलिए शिव का वाहन नंदी हैं।
कार्तिकेय और मयूर का सम्बन्ध
आपको बता दे की यह कार्तिकेय का वाहन मयूर है। जहा अब एक कथा के अनुसार यह वाहन उनको भगवान विष्णु से भेंट में मिला था। वही अब भगवान विष्णु ने कार्तिकेय की साधक क्षमताओं को देखकर उन्हें यह वाहन दिया गया था, जिसका सांकेतिक अर्थ था कि अपने चंचल मन रूपी मयूर को कार्तिकेय ने साध लिया है। साथ ही एक अन्य कथा में इसे दंभ के नाशक के तौरपर कार्तिकेय के साथ बताया गया है।
Hindu culture : मां दुर्गा और उनका शेर वाहन का सम्बन्ध
आपको बतादे की माँ दुर्गा तेज, शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक है तो उनके साथ सिंह है। जहा शेर प्रतीक है क्रूरता, आक्रामकता और शौर्य का। साथ ही यह तीनों विशेषताएं मां दुर्गा के आचरण में भी देखने को मिलती है। जहा यह भी रोचक है कि शेर की दहाड़ को मां दुर्गा की ध्वनि ही माना जाता है, जिसके आगे संसार की बाकी सभी आवाजें कमजोर लगती हैं।
मां सरस्वती और हंस वाहन का सम्बन्ध
इसके अलावा अब हम हंस संकेतों की भाषा में पवित्रता और जिज्ञासा का प्रतीक है जो कि ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए सबसे बेहतर वाहन है। फिर मां सरस्वती का हंस पर विराजमान होना यह बताता है कि ज्ञान से ही जिज्ञासा को शांत किया जा सकता है और पवित्रता को जस का तस रखा जा सकता है।
भगवान विष्णु और गरुड़ का आसन
गरुण प्रतीक हैं दिव्य शक्तियों और अधिकार के रूप मे विख्यात है। जहा भगवद्गीता में कहा गया है कि भगवान विष्णु में ही सारा संसार समाया है।वही यहाँ सुनहरे रंग का बड़े आकार का यह पक्षी भी इसी ओर संकेत करता है। भगवान विष्णु की दिव्यता और अधिकार क्षमता के लिए यह सबसे सही प्रतीक है।
मां लक्ष्मी और उल्लू वाहन
इसके अलावा माता लक्ष्मी के वाहन उल्लू को सबसे अजीब चयन माना जाता है। वही कहा जाता है कि उल्लू ठीक से देख नहीं पाता, लेकिन ऐसा सिर्फ दिन के समय होता है। उल्लू शुभता और धन-संपत्ति के प्रतीक होते हैं।
ऐसे ही बाकी देवताओं के साथ भी पशुओं को उनके व्यवहार और स्वभाव के आधार पर जोड़ा गया।