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Hindu temple:सीधी मे जगह जगह है माँ विराजमान, जाने विशेषता

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Hindu temple : विंध्य क्षेत्र का सीधी जिला पाषाण युग से देवी उपासना का केंद्र रहा है

सीधी जिले में अनेक प्राचीन देवी मंदिर जागृत स्वरूप में विद्यमान हैं

Hindu temple : विंध्य क्षेत्र का सीधी जिला पाषाण युग से देवी उपासना का केंद्र रहा है। भारत में देवी उपासना का सबसे पुराना अवशेष ‘बघोर शिला’ (8000-9000 ई.पू.) सीधी जिले से प्राप्त हुआ है। यह भारत में देवी उपासना का हड़प्पा काल से भी प्राचीन प्रमाण है। निरंतर 11000 से चली आ रही देवी उपासना अनेक समुदायों द्वारा इसी स्वरूप में आज भी जारी है।

 

सीधी जिले में ऐसे अनेक प्राचीन देवी मंदिर जागृत स्वरूप में विद्यमान हैं जो धार्मिक व‌ सांस्कृतिक आस्था के प्रमुख स्थान होने के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी महत्त्व रखते हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध स्थान के रूप में सिहावल तहसील के घोघरा ग्राम में स्थित देवी चण्डी मंदिर बीरबल‌ की जन्मस्थली के रूप में विख्यात है। यह देवी परंपरागत रूप से बघेल राजवंश की कुलदेवी के रूप में भी प्रसिद्ध है एवं स्थानीय जनों में इस स्थान के प्रति गहरी आस्था है। ऐसा कहा जाता है कि बीरबल की आराधना से प्रसन्न होकर चण्डी देवी ने उन्हें वाक् सिद्धि अर्थात कहा हुआ सत्य होने का वरदान दिया था। वरदान मिलने की इस घटना के बाद‌ एक साधारण से बालक‌ का बीरबल‌ के रूप में नया जन्म हुआ ऐसा माना जाता है।

 

Hindu temple : घोघरा के अतिरिक्त एक अन्य प्रसिद्ध देवी मंदिर रामपुर नैकिन तहसील स्थित बाघड़ धवैया ग्राम में दुरासिन माता मंदिर है। इस मंदिर के आसपास अनेक प्राचीन सती स्तंभ, पुरातात्विक अवशेष व मूर्तियां प्राप्त होते हैं। इस मंदिर में विराजित देवी की भी अनेक स्थानीय परिवारों के लिए कुलदेवी के रूप में मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि इसी क्षेत्र में संस्कृत कवि बाणभट्ट के पूर्वज रहा करते थे व उनकी नियमित पूजा-अर्चना किया करते थे।

 

जिले का एक अन्य पुरातात्विक महत्त्व‌‌ वाला‌ देवी मंदिर सीधी विकासखंड के कठौली ग्राम में स्थित कंकाली देवी मंदिर है। इस मंदिर में स्थित लगभग 8वीं-12वीं शताब्दी की देवी प्रतिमा अत्यंत उग्र स्वरूप की है व गले में नरमुंड धारण करते हुए कंकालयुक्त शरीर व पेट के भाग में बिच्छू अंकित है। यह मंदिर कुछ ऊंचाई पर स्थित है व चारों तरफ प्राचीन ईंटों के ढेर हैं जिससे यह पता चलता है कि यह मंदिर पूर्व में ईंटों से बना था। इस क्षेत्र में यत्र तत्र प्राचीन ईंटें व टीले प्राप्त होते हैं। इसी से कुछ दूरी पर एक दशावतार विष्णु का मंदिर है जिसमें चिकने काले पत्थर की दक्षिण भारतीय शैली की प्राचीन मूर्ति आश्चर्यजनक रूप से सुंदर है। इस ग्राम के ऐतिहासिक महत्त्व को आमजन के सामने लाने में सीधी के प्रसिद्ध इतिहासकार व पुरातत्वविद् डॉ. संतोष सिंह चौहान का अभूतपूर्व योगदान रहा है।

 

Hindu temple : जिले के गोतरा ग्राम में गोपद नदी के तट पर भी अनेक प्राचीन मंदिरों के अवशेष हैं जिनमें एक देवी मंदिर भी प्रेक्षणीय है। इसके अतिरिक्त तहसील कुसमी के मध्य में पहाड़ी पर स्थित देवी मंदिर ग्राम की रक्षा करने हेतु विराजमान हैं ऐसा प्रतीत होता है। अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में ग्राम लौआ व ग्राम नौढ़िया स्थित देवी मंदिर, ग्राम बटौली स्थित प्राचीन महाकाली मंदिर एवं सीधी नगर स्थित फूलमती माता मंदिर आमजनों की आस्था के महत्त्वपू्र्ण केंद्र हैं।

Hindu temple : विंध्य यह नाम ही विंध्यवासिनी से जुड़ा होने से यहां शक्ति कण कण में व्याप्त है। भक्तों की आस्था के प्रकटीकरण के रूप में यह शक्ति मूर्त रूप में मंदिर विशेष में विराजित होकर मनुष्यों में सर्वजन के कल्याण का भाव जागृत करती है। ऐसे ही सभी पवित्र शक्तिस्थलों से युक्त विंध्य क्षेत्र व सीधी जिला निरंतर उत्थान करे यही शक्ति की सच्ची आराधना है।

 

संदर्भ साभार

1. रीवा स्टेट गजेटियर, भाग-4, 1907, श्री सी एल लुआर्ड, पृ. 83

2. शोण घाटी का वैभव, 2014, डॉ. संतोष सिंह चौहान

3. श्रेयस गोखले डिप्टी कलेक्टर रीवा

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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