Hirta dweep : 2,000 साल की आबादी का अंत, अब सिर्फ इतिहास और वन्य जीवन का घर
Hirta dweep : स्कॉटलैंड के सेंट किल्डा आर्किपेलागो में स्थित हिरटा द्वीप कभी जीवन से भरा हुआ था। यहां के लोग लगभग 2,000 वर्षों तक लगातार बसे रहे। पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि इस छोटे से द्वीप पर पीढ़ी दर पीढ़ी जीवन चलता रहा। लेकिन आज यह द्वीप वीरान है, जहां इंसानों की जगह केवल वन्य जीवन और इतिहास की गूंज सुनाई देती है।
सन 1861 में यहां के निवासियों ने सोलह एक-मंजिला कुटीरें बनाईं, जिनमें चिमनी और स्लेट की छतें थीं। इन्हें स्थानीय लोग “मेन स्ट्रीट” कहते थे। ये नए घर पुराने ब्लैकहाउस की जगह बनाए गए थे, जिन्हें एक भीषण तूफान ने नष्ट कर दिया था। यहां की आबादी का जीवन मुख्य रूप से क्रॉफ्टिंग पर आधारित था—छोटे पैमाने पर खेती और पशुपालन।
Hirta dweep : मछली पकड़ना समुद्र की खतरनाक लहरों के कारण कठिन था, इसलिए उनका भोजन ज्यादातर समुद्री पक्षियों और उनके अंडों पर निर्भर रहता था। यह जीवनशैली कठिन जरूर थी, लेकिन सदियों तक चली। हालांकि 19वीं सदी के मध्य से स्थितियां बदलने लगीं।
1851 में जहां आबादी 112 थी, वहीं धीरे-धीरे गिरकर 1930 तक सिर्फ 36 लोग रह गए। इस गिरावट के पीछे कई कारण थे—दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों द्वारा लाई गई बीमारियां, प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव, और सीमित संसाधन। हालात इतने खराब हो गए कि 1930 में बचे हुए निवासियों ने सरकार से द्वीप खाली कराने की गुहार लगाई। वे लिखित रूप में बोले—यहां रहना अब संभव नहीं है। उसी साल उनका सामूहिक पलायन हुआ और हजारों साल का मानवीय बसेरा खत्म हो गया।
आज हिरटा द्वीप निर्जन है, लेकिन इसकी पहचान विश्व स्तर पर बनी हुई है। यह द्वीप यूनेस्को का डुअल वर्ल्ड हेरिटेज साइट है—एक तरफ इसके अद्वितीय प्राकृतिक नज़ारे और दूसरी तरफ इसका समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास। यहां अब सोए भेड़ (Soay Sheep) और दुर्लभ समुद्री पक्षियों की बड़ी कॉलोनियां पाई जाती हैं।
हिरटा, जो कभी मानव संघर्ष और धैर्य का प्रतीक था, अब प्रकृति और इतिहास का जीवंत संग्रहालय बन चुका है—जहां इंसान की जगह अब केवल हवा, समुद्र और पक्षियों की आवाज़ें गूंजती हैं।