History of india : भारत एक ऐसा देश था जहां चीते पालतू जानवर के रूप में रखे जाते थे लेकिन अब भारत में चीते बाहर से इंपोर्ट की जाते हैं। अंग्रेजों का शासन जब से आया तब से चीते के मारने की परंपरा शुरू हो गई और चीजों को मारते-मारते पूरी तरह से उन्हें खत्म कर दिया गया।
History of india : एक समय ऐसा है जब भारत में चीते पूरी तरह से विलुप्त हो गए ऐसे में चिता विलुप्त देश भारत बन गया था। लेकिन आपको एक बात की हैरानी होगी कि वहां से 200 साल पहले जब चले जाएंगे। तब पूरी तरह से एक अलग ही नजारा देखने को मिलेगा जहां कुत्ते की तरह लोग अपने घरों में चीते पालते थे और उन्हें पालतू जानवरों की श्रेणी में रखा गया था।
ये बात बहुत ही कम लोगों को पता है कि आज़ादी से पहले ब्रिटिश काल में राजा-महाराजा चीतों को पालते थे। और उनकी मदद से शिकार किया करते थे।
History of india : माना यह भी जाता है कि फिरोज़ शाह तुगलक मध्यकालीन समय का पहला शासक था, जिसने चीतों को पालना शुरू किया। जहा उनकी मदद से शिकार करना शुरू किया। मुगल बादशाह अक़बर के पास कम से कम एक हज़ार पालतू चीते हुआ करते थे, जिनका इस्तेमाल शिकार के लिये होता था। ख़ुद जहांगीर ने लिखा है कि उनके पिता ने अपने जीवनकाल में नौ हज़ार चीतों को पाला था।
पंद्रहवीं-सोलहवीं शताब्दी में भारत में चीतों का यह सुनहरा दौर माना जाता है.
भारत की छोटी-छोटी रियासतों में भी शिकार के लिये चीतों को पाला जाता था और बजाप्ता बैलगाड़ी में बैठा कर उन्हें शिकार के लिये जंगल ले जाया जाता था। लेकिन अंग्रेज़ों के दौर में ख़ुद चीता भी शिकार बने।
इधर पालतू नर और मादा चीतों के संपर्क में नहीं आने के कारण इनकी जनसंख्या घटती चली गई। और भारत के आखिरी तीन चीते 1947 या 1948 में मारे गए। जिसका शिकार कोरिया रियासत के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने किया था। जिसके बाद भारत ने वर्ष 1952 में ख़ुद को ‘चीता विलुप्त’ देश घोषित कर लिया।