ब्रिटिश राज की कैद में भारतीय क्रांतिकारी, आज़ादी की जंजीरों (chains) में जकड़ी एक सच्ची कहानी”
भारत के स्वतंत्रता संग्राम का यह rare historic photograph उस दौर की गवाही देता है जब British Raj के अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाना ही गुनाह समझा जाता था। इस तस्वीर में चार भारतीय क्रांतिकारी जंजीरों (chains) में जकड़े हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि उनके पीछे हथियारबंद भारतीय सिपाही खड़े हैं, जो ब्रिटिश हुकूमत के आदेशों का पालन कर रहे थे। माना जाता है कि यह दृश्य आज के अरुणाचल प्रदेश या उसके आसपास के क्षेत्र का है, जहां स्थानीय जनजातीय योद्धाओं (tribal warriors) ने अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ विद्रोह किया था।
British Rule के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों को “राजद्रोही” या “criminals against the Crown” कहा जाता था। उन्हें खुले मैदानों या अस्थायी जेलों (temporary jails) में बांधकर रखा जाता, ताकि बाकी लोग डरकर विद्रोह करने से बचें। तस्वीर में जकड़े चेहरों पर झलकता साहस और पीड़ा बताती है कि आज़ादी का संघर्ष केवल दिल्ली या कोलकाता जैसे शहरों तक सीमित नहीं था, बल्कि यह जंगलों, पहाड़ियों और जनजातीय इलाकों तक फैला हुआ था।
पूर्वोत्तर भारत (North-East India) के अनेक जनजातीय समूहों ने ब्रिटिश हुकूमत के forced taxes, जमीन कब्जे और सांस्कृतिक दमन (cultural oppression) के खिलाफ मोर्चा खोला। अंग्रेजों ने इन योद्धाओं को पकड़कर न केवल कैद किया बल्कि सार्वजनिक रूप से जंजीरों में बांधकर उनका अपमान किया, ताकि बाकी लोग भयभीत रहें।
इतिहासकारों का मानना है कि इस तरह की तस्वीरें ब्रिटिश सरकार की colonial mindset और भारतीय जनता को दहशत में रखने की नीति को उजागर करती हैं। लेकिन इन बेड़ियों में भी झलकती है वह लौ, जिसने बाद में पूरे देश में स्वतंत्रता की ज्वाला भड़का दी।
आज जब हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं, यह तस्वीर हमें याद दिलाती है कि आज़ादी की यह हवा अनगिनत अनाम बलिदानों की देन है। यह केवल एक फोटो नहीं, बल्कि हमारे देश की freedom legacy का प्रतीक है — जो हर भारतीय के दिल में गर्व और कृतज्ञता की भावना जगाती है।
