नागर शैली:भारत की प्राचीन धरोहरें और उनकी अलौकिक बनावट
भारत की प्रमुख मंदिर वास्तुकला शैलियां

भारत एक समृद्ध संस्कृति विरासत और विविधताओं वाला देश है यहां के मंदिर वास्तुकला से समृद्ध हैं जिनकी शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता के बाद से मानी जाती है भारत के मंदिर और अन्य वस्त्र कलाओं में विदेशी सांस्कृतिक परंपराओं सामाजिक आवश्यकता और आर्थिक समृद्धि की झलक दिखाई देती है इसीलिए यहां की वास्तुकला का अध्ययन भारत के विभिन्न सांस्कृतिक विविधताओं को प्रकट करता हैं
भारत की अधिकांश प्राचीन कलाओं को धर्म द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है इस लेख में हम आपको भारत के मंदिरों की स्थापना काल की प्रमुख शैलियों के बारे में विस्तार में जानकारी दे रहे हैं
नागर शैली के अंग
खजुराहो के मंदिर नगर शैली में निर्मित हैं :नागर शैली हिमालय और विंध्य के बीच की भूमि से जुड़ी है और भारत के उत्तरी भागों में क्षेत्रीय रूप से विकसित हुई है नागर शैली में नगर शब्द की उपस्थिति नगर से हुई मानी जाती है इस शैली में संरचना में दो इमारतें शामिल हैं मुख्य लांबा मंदिर और एक निकटवर्ती मंडप जो छोटा है इन दोनों इमारत के बीच सबसे बड़ा अंतर शिखर के आकार का है इस शैली के प्रमुख मंदिर में घंटे के आकार की संरचना जोड़ी जाती है
नागर शैली के मंदिर मुख्य रूप से चार कक्षों बने होते हैं वह हैं
गर्भग्रह ,जगमोहन नाट्यमंदिर,|