Lord Ram: जाने श्री राम और राममन्त्र तात्पर्य
Lord Ram : आज हम आपको इस लेख में बेहद ही शानदार और व्यवस्थित जानकारी प्रदान करने वाले हैं। हम आपको बताएंगे कि आखिर राम नाम क्यों महत्वपूर्ण है और राम का नाम क्यों आखिर लोगों को जपना चाहिए। वास्तव में राम अनादि ब्रह्म ही हैं। अनेका नेक संतों ने निर्गुण राम को अपने आराध्य रूप में प्रतिष्ठित किया है। वही राम नाम के इस अत्यंत प्रभावी एवं विलक्षण दिव्य बीज मंत्र को सगुणोपासक मनुष्यों में प्रतिष्ठित करने के लिए दशरथी राम का पृथ्वी पर अवतरण हुआ है। जहा प्रसिद्ध कवि कबीरदास जी ने कहा है की आत्मा और राम एक है-‘ आतम राम अवर नहिं दूजा।’राम नाम कबीर का बीज मंत्र है। राम नाम को उन्होंने अजपा जाप कहा है।
Lord Ram : जाने आखिर राम शब्द का अर्थ क्या है
रमंति इति रामः’जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता हैवही राम हैं।इसी तरह कहा गया है –
यानी ‘रमन्ते योगिनो यस्मिन स रामः’अर्थात् योगीजन जिसमें रमण करते हैं वही राम हैं। वही ब्रह्मवैवर्त पुराणमें कहा गया है –’ राम शब्दो विश्ववचनो, मश्वापीश्वर वाचकः’अर्थात् ‘रा’ शब्द परिपूर्णता का बोधक है और ‘म’ परमेश्वर वाचक है। चाहे निर्गुण ब्रह्म हो या दाशरथि राम हो,विशिष्टतथ्य यह है कि राम शब्द एक महामंत्र है।
आइए जानते है की राम मन्त्र का अर्थ क्या है
केवल राम नाम जपना ही काफी नहीं है राम मंत्र का अर्थ भी आज मैं आपको बताएंगे। ‘ राम ‘ स्वतः मूलतःअपने आप में पूर्ण मन्त्र है।’र’, ‘अ’ और ‘म’, इन तीनों अक्षरों के योग से ‘राम’ मंत्र बनता है। कहा जाता है कि यही राम रसायन है। साथ ही ‘र’ अग्निवाचक है।’अ’ बीज मंत्र है।’म’ का अर्थ है ज्ञान। जहा यह मंत्र पापों को जलाता है,किंतु पुण्य को सुरक्षित रखता है और ज्ञान प्रदान किया करता है। वही हम चाहते हैं कि पुण्य सुरक्षित रहें और सिर्फ पापों का नाश हो सके।
जहा ‘अ’ मंत्र जोड़ देने से अग्नि केवल पाप कर्मो का दहन कर पाती है और हमारे शुभ और सात्विक कर्मो को सुरक्षित करती है। साथ ही ‘म’ का उच्चारण करने से ज्ञान की उत्पत्ति होती है। जहा हमें अपने स्वरूप का भान हो जाता है। साथ ही इसलिए हम र, अ और म को जोड़कर एक मंत्र बना लेते हैं-राम। ‘म’ अभीष्ट होने पर भी यदि हम ‘र’ और ‘अ’ का उच्चारण नहीं करेंगे तो अभीष्ट की प्राप्ति नहीं होगी।
Lord Ram : वही अब राम सिर्फ एक नाम नहीं अपितु एक मंत्र है, जिसका नित्य स्मरण करने से सभी दु:खों से मुक्ति मिल जाती है। राम शब्द का अर्थ है- मनोहर, विलक्षण, चमत्कारी, पापियों का नाश करने वाला व भवसागर से मुक्त करने वाला। रामचरित मानस के बालकांड में एक प्रसंग में लिखा है –
नहिं कलि करम न भगति बिबेकू।
राम नाम अवलंबन एकू।।
अर्थात कलयुग में न तो कर्म का भरोसा है, न भक्ति का और न ज्ञान का। सिर्फ राम नाम ही एकमात्र सहारा हैं।स्कंदपुराण में भी राम नाम की महिमा का गुणगान किया गया है –
रामेति द्वयक्षरजप: सर्वपापापनोदक:।
गच्छन्तिष्ठन् शयनो वा मनुजो रामकीर्तनात्।।
इड निर्वर्तितो याति चान्ते हरिगणो भवेत्
Lord Ram: स्कंदपुराण/नागरखंडअर्थात यह दो अक्षरों का मंत्र(राम) जपे जाने पर समस्त पापों का नाश हो जाता है। चलते, बैठते, सोते या किसी भी अवस्था में जो मनुष्य राम नाम का कीर्तन करता है,और अंत में भगवान विष्णु का पार्षद बनता है।
“राम रामेति रामेति रमे रामेमनोरमे ।
सहस्र नाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने ।।”