Sidhi news:18 साल से नहीं हो पाया अपग्रेड, हर दिन 3 से 4 हो रहे पोस्टमार्टम
संसंवाददाता अभिनय शुक्ला
Sidhi news:जिला अस्पताल का पोस्टमार्टम हाउस 18 साल बाद भी अपग्रेड नहीं हो पाया है। यहां प्रतिदिन औसतन 3 से 4 शवों का पोस्टमार्टम होता है। इस लिहाज से व्यवस्थाएं नाममात्र की हैं। वर्तमान में शव रखने के लिए मात्र दो ही टेबल हैं, जबकि जरूरत 6 की है। शवों को सुरक्षित रखने तीन फ्रीजर उपलब्ध कराए गए थे, एक भी चालू हालत में नहीं है। तीनों खराब पड़े हैं। पानी सप्लाई भी नियमित नहीं रहती। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सहित सहायक सफाईकर्मी को डेढ़ साल से शासन से मिलने वाली अतिरिक्त राशि भी नहीं मिली है। इस तरह तमाम अव्यवस्थाओं के बीच जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम हाउससंचालित है। विगत दिवस हुए बस हादसों में जहां एक दर्जन लोगों की मौत हुई, ऐसी स्थिति में शव को मर्चुरी केंद्र में व्यवस्थित रखने के लिए पर्याप्त जगह तक नहीं नसीब हो पाई। एक शव को रात भर जिला अस्पताल में ही रखना पड़ा। ऐसे में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
Sidhi news:परिषर में गंदगी का अंबार
स्वच्छता के बलबूते कायाकल्पअभियान में अपनी दावेदारी पेश करने वाले जिला अस्पताल प्रबंधन ने पोस्टमार्टम हाउस के सामने खाली पड़े स्थान को ट्रेचिंग ग्राउंड में तब्दील कर रखा है, जहां अस्पताल के विभिन्न वार्डों से निकलने वाले हानिकारक कचरे को सफाईकर्मियों द्वारा डंप कराया जा रहा है। इससे पोस्टमार्टम हाउस तक जाने वाले मार्ग में बड़ी मात्रा में गंदगी पड़ी रहती है।
Sidhi news:नही है सफाईकर्मी
Sidhi news:वर्तमान में यहां के पोस्टमार्टम हाउस पर एक भी सफाईकर्मी तैनात नहीं है। एक स्वीपर को तैनात किया गया है, जिस समय पोस्टमार्टम करना होता है उसी समय इसी स्वीपर द्वारा हल्की सफाई करवाई जाती है। कुल मिलाकर वर्तमान वर्कलोड को देखते हुए पोस्टमार्टम हाउस को नए सिरे अपग्रेड करने की दरकार महसूस की जाने लगी है, लेकिन स्वास्थ्य महकमा व शासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा।
Sidhi news:इनकी जरूरत
जिला अस्पताल परिसर स्थित पोस्टमार्टम हाउस वर्ष 2004 से संचालित है। भवन के नाम पर दो छोटे कमरे हैं। उसमें इनमें से एक कमरे में शव का पोस्टमार्टम किया जाता है, जबकि दूसरे कमरे में शव रखने के लिए तीन फ्रीजर मौजूद हैं। जो खराब पड़े हैं। सबसे बड़ी समस्या पर्याप्त जगह का अभाव है, जिस कमरे में शव का पोस्टमार्टम किया जाता है, वहां शव रखने के लिए मात्र दो टेबल ही मौजूद है, जबकि आवश्यकता 6 टेबल की है। यही नहीं पोस्टमार्टम करने आने वाले डॉक्टर के लिए अलग से कोई कमरा नहीं है, जहां वे इससे जुड़ी औपचारिकताएं पूरी कर सकें। सुविधा अभाव के कारण डॉक्टर को छोटे से कमरे में पूरे समय खड़े होकर सभी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। यहां बता दें कि जब किसी शव का पीएम डॉक्टर्स के पैनल द्वारा किया जाता है तो उनके समक्ष बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है। यही नहीं कई बार परिजनों की मांग पर पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी करानी होती है, लेकिन जगह के अभाव में यह काम भी ठीक नहीं हो पाता है ।