Mpnews:झोली में शव, कीचड़ में सवाल: रीवा के गांव से आई तस्वीर ने सरकारी दावों की पोल खोली
Mpnews:मध्यप्रदेश में विकास और बुनियादी सुविधाओं को लेकर किए जा रहे सरकारी दावों के बीच रीवा जिले से सामने आई एक तस्वीर ने पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है। यह तस्वीर न सिर्फ दिल दहला देने वाली है, बल्कि ग्रामीण भारत की उस सच्चाई को भी उजागर करती है, जिसे अक्सर फाइलों और मंचों पर छुपा दिया जाता है।
मामला रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जनपद पंचायत जवा की ग्राम पंचायत रौली का है। यहां 55 वर्षीय कमलेश दुबे लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। उनका इलाज भोपाल के चिरायु अस्पताल में चल रहा था, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। परिजन जब उनका पार्थिव शरीर गांव लेकर पहुंचे, तब असली पीड़ा का सामना करना पड़ा।
ग्रामीणों के अनुसार, गांव तक आज भी पक्की सड़क नहीं है। इसी कारण एंबुलेंस अंतिम छोर तक नहीं पहुंच सकी। मजबूरी में परिजनों को शव को झोली में रखकर पैदल ही गांव तक ले जाना पड़ा। जिस रास्ते पर शव गुजरा, वहां न सड़क थी, न सुविधा और न ही कोई प्रशासनिक सहारा।
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह एक परिवार अपनों के शव को सम्मानपूर्वक अंतिम यात्रा देने के लिए भी संघर्ष करने को मजबूर है। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस दौरान न कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुंचा और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने मदद की।
परिजनों का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने कहा, “अगर गांव तक सड़क होती तो हमें इस तरह अपने आदमी का शव उठाकर नहीं ले जाना पड़ता। बीमारी में तो लड़े ही, अब मौत के बाद भी सिस्टम ने हमें बेसहारा छोड़ दिया।”
Mpnews:यह घटना एक बार फिर सरकारी योजनाओं, सड़क निर्माण के दावों और जमीनी हकीकत के बीच के अंतर को उजागर करती है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और अन्य योजनाओं के बावजूद आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां एंबुलेंस पहुंचना सपना बना हुआ है।
