Mpnews:मऊगंज जिला अस्पताल की लापरवाही, इलाज के इंतज़ार में 2 माह की नवजात ने तोड़ा दम, गेट पर ही थम गई साँसे
Mpnews:मऊगंज जिला अस्पताल में गुरुवार सुबह स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की लापरवाही के कारण एक मासूम की जान चली गई। महज़ दो महीने की नवजात बच्ची इलाज पाने से पहले ही दम तोड़ गई। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि समय पर डॉक्टर उपलब्ध होते, तो मासूम की जान बच सकती थी।
घटना ग्राम महेवा, थाना नईगढ़ी की है। मानसी यादव नामक बच्ची अपनी मां के साथ इन दिनों ग्राम बामनगढ़ (मऊगंज) स्थित ननिहाल में रह रही थी। गुरुवार सुबह उसकी तबीयत अचानक खराब हो गई तो घरवालों ने तुरंत अस्पताल का रुख किया।
अस्पताल पहुंचे, पर डॉक्टर नदारद!
Mpnews :परिजन सुबह लगभग 6 बजे अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहाँ न डॉक्टर था न कोई स्वास्थ्यकर्मी। परिवारवालों ने बताया कि उन्होंने कई कमरों और वार्डों में जाकर डॉक्टरों की तलाश की, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद सुबह 9 बजे एक नर्सिंग ऑफिसर ड्यूटी पर पहुँचीं।
नर्सिंग ऑफिसर ने परिजनों से कहा कि ओपीडी टाइम के बाद ही डॉक्टर बच्ची को देख पाएंगे। बच्ची की तेज़ सांसों को देखते हुए उन्होंने तत्काल एक पर्ची बनाई और भाप देने की सलाह दी।
हालत बिगड़ी तो किया गया रेफर, लेकिन…
जैसे-जैसे समय बीतता गया, बच्ची की तबीयत और बिगड़ती गई। स्थिति को गंभीर होते देख नर्सिंग ऑफिसर ने उसे रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। हालांकि, अस्पताल के गेट से बाहर निकलते ही बच्ची की सांसे थम गईं। परिजन रोते-बिलखते रह गए।
बच्ची के नाना ने बताया कि बच्ची पिछले तीन दिनों से बीमार थी। पहले उसे रामपुर में एक निजी बंगाली डॉक्टर को दिखाया गया था, सुधार न होने पर उसे बामनगढ़ लाया गया और सुबह हालत ज्यादा खराब होने पर अस्पताल पहुँचाया गया।
“जिला बना पर सुविधाएँ नहीं!”—परिजन
मृतका के नाना ने प्रशासन पर तंज कसते हुए कहा,
“जिला तो बन गया, लेकिन सुविधाएँ आज भी शून्य हैं। डॉक्टर अस्पताल में होने के बाद भी मरीजों को देखने नहीं आते। गरीब इलाज के लिए भटकते फिर रहे हैं और मासूम गेट पर दम तोड़ दे रही है।”
