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Ramayan ka saar ( कुछ अनोखे तथ्य जिनके बारे में आपको पता चलेगा)

प्राचीन काल से अभी तक अनुसरण करने वाले यह ग्रंथ.।

(The Ramayan).

  1. रामायणको संस्कृत भाषाका आदिकाव्य’ कहा जाता है, क्योंकि श्लीक कपाल उदाहरण है। महर्षि वाल्मीकि को रामायण की मौलिक रचनाकार माना जाता है संस्कृत के आदिकवि माने जाते हैं कि कृत रामायण में गॉलिक पाँच काण्ड ही थे, परन्तु आज इसमें सात काण्ट और 24000 श्लोक है। क ॐ काण्ड वाले मूल रामायण ग्रन्थ में श्रीराम को युग का एक महान पुरुष माना है और रूप में उनका चरित्र-चित्रण हुआ है। परन्तु रामायण के प्रथम और सप्तम काण्ड में राम को ईश्वर के अवतार के रूप में माना गया है और इन्हें भगवान विष्णु के अवतार के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि उक्त दोनों काण्ड बाद के युग के हैं। अधिकांश का मानना है कि रामायण का रचना काल लगभग छठी शताब्दी ई. पू. है, किन्तु इसने अपने वर्तमान स्वरूप को पहली शताब्दी ई. पू. तक प्राप्त किया।

 

मध्य युग में हिन्दी के महान कवि गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस’ की रचना की इस ग्रन्थ का विषय और कथा रामायण के समान है, परन्तु कवियों ने जीवन धार्मिक दशा और धारणाएँ अपने-अपने व्यक्तिगत दृष्टिकोण से वर्णित कामी तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ से रामायण की कथा को भारत में अत्यधिक लोकप्रियता मिली।

 

यद्यपि कुछ पाश्चात्य विद्वान जैसे-जैकोबी, मैकडोनेल और वी. ए. स्मिथ आदि रामायण की कथा को काल्पनिक मानते हैं, किन्तु अधिकांश आधुनिक विद्वानों का मानना है किराको मूल घटनाएँ ऐतिहासिक है। 

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