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1545 ईस्वी में युद्ध जीतने के प्रयास में इसी दुर्ग में मारा गया था शेरशाह सूरी

अफगान मुगल बादशाह था शेरशाह सूरी

शेरशाह सूरी एक नाम है जिसने भारत जीतने का प्रयास किया था लगभग वह भारत जीत भी गया था लेकिन उसकी मौत 1545 ईस्वी में हो गई थी।

जहां भारत देश में स्थित कालिंजर दुर्ग को जीतने का उसने प्रयास किया था लेकिन वह जीत ना सका। और आखिरकार उसे युद्ध को जीतने के प्रयास में उसकी बलि चढ़ गई।

तो यह जानते हैं दोनों का इतिहास शेरशाह सूरी और कालिंजर दुर्ग का इतिहास

शेरशाह सूरी, जिनका असली नाम फरीद खान था, ने 16वीं सदी में भारतीय इतिहास में अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनाई। उन्होंने दिल्ली सल्तनत को मुघल साम्राज्य से हराकर 1540 में दिल्ली सुलतानत की स्थापना की और उसका पहला सुल्तान बने। उनकी मुघल साम्राज्य से जंग-ए-पानीपत (पानीपत की लड़ाई) में जीत ने मुघल साम्राज्य को दिल्ली से हटाकर शेरशाह के हाथों में कर दिया। उन्होंने व्यापक सड़क नेटवर्क की बनावट की और रुपए को स्थायी मुद्रा बनाने में भी सफल रहे। उनकी मृत्यु के बाद, उनके पुत्र इस्लाम शाह सूरी ने सुलतान बनकर उनकी योजनाओं को आगे बढ़ाया, लेकिन बाद में वह अकबर के हाथों में हार गए।

कालिंजर दुर्ग, जो 13वीं सदी में बनाया गया था, एक प्रमुख राजगढ़ था जो दिल्ली सल्तनत के समय में बना था। यह दुर्ग दिल्ली को पश्चिमी हम्पी के राजा राजा बहमनी सुलतान अलाउद्दीन बहमन शाह ने 1296 में राजा राजा के पुत्र कालिंजर के नाम पर बनवाया था। कालिंजर दुर्ग ने भारतीय इतिहास में अपने विरोधकों के खिलाफ समर्थन की भूमिका निभाई और इसे स्थायी स्मारक में बना दिया। यह दुर्ग हिन्दू धर्म की संस्कृति और विरासत को सुरक्षित रखने में भी मदद करता है।

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