ये कैसी आस्था : बैगा मंदिर मे होती है संतान प्राप्ति, बैगा पैरो से कुचलते है महिलाओ को
ये अनूठी लेकिन सिद्ध मान्यता हैरान करने वाली तस्वीरें छत्तीसगढ़ में देखने को मिली

ये कैसी आस्था..
संतान के लिये आधुनिकतम टेस्ट ट्यूब और आईवीएफ तकनीक के दौर में.. ये अनूठी लेकिन सिद्ध मान्यता हैरान करने वाली तस्वीरें छत्तीसगढ़ में देखने को मिल रही है।
धमतरी का अंगारमोती मंदिर में अगर निसंतान महिला को बैगा अपने पैरो से कुचलते हुए आगे बढ़े तो.. महिला को संतान की प्राप्ति होती है.. हर साल दीवाली के बाद पहले शुक्रवार को.. इसी मन्नत के साथ दूर दराज से बड़ी संख्या में महिलाएं आती है.. आज संतान के लिये आधुनिकतम टेस्ट ट्यूब और आईवीएफ तकनीक के दौर में.. ये अनूठी लेकिन सिद्ध मान्यता हैरान करने वाली है।
छत्तीसगढ़ का धमतरी जिला अपने बांधो के लिये जाना जाता है.. लेकिन जब गंगरेल बांध नहीं बना था तो.. वहां बसे गांवो में शक्ति स्वरूपा.. मां अंगारमोती इस इलाके की अधिष्ठात्री देवी थी.. बांध बनने के बाद वो तमाम गांव डूब में चले गए.. लेकिन माता के भक्तो में.. अंगारमोती की गंगरेल के तट पर फिर से स्थापना कर दी… जहां साल भर भक्त दर्शन या मन्नत करने आते हैं।
लेकिन पूरे साल में एक दिन सबसे खास होता है… दीपावली पर्व के बाद का पहला शुक्रवार… इस दिन यहां भव्य मड़ई लगता है.. सैकड़ो हजारो लोग आते हैं… आदिवासी परंपराओ के साथ.. पूजा और रीतियां निभाई जाती है… और इसी दिन यहां बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं आती है.. जिनका गोद सूना है… संतान नहीं है.. कोई मां कहने वाला नहीं है.. ऐसी महिलाओ को मां का दर्जा.. अंगार मोती मां दिलवाती है।
औलाद की लालसा लिये पहुंची महिलाएं.. मंदिर के सामने.. हाथ में नारियल.. अगरबत्ती नींबू लिये कतार में खड़ी होती है.. इन्हें इंतजार रहता है कि कब.. मुख्य बैगा मंदिर के लिये आएगा.. दूसरी तरफ वो तमाम बैगा होते हैं.. जिन पर मां अंगार मोती सवार होती है।
वो झूमते झूपते.. थोड़े बेसुध से मंदिर की तरफ बढ़ते हैं.. चारो तरफ ढोल नगाड़ो की गूंज रहती है… बैगाओ को आते देख.. कतार में खड़ी सारी महिलाएं पेट के बल दंडवत लेट जाती है.. और सारे बैगा उनके उपर से गुजरते है.. मान्यता है कि जिस भी महिला के उपर बैगा का पैर पड़ता है।
उसे संतान के रूप में.. माता अंगार मोती का आशीर्वाद मिलता है.. उनकी गोद भी हरी हो जाती है.. उनके आगन में भी किलकारी गूंजती है… कहते है कि जब तक स्त्री मां न बन जाए वो अधूरी रहती है… और पूर्ण स्त्री का सुख पाने महिलाएं सब कुछ सहने को तैयार रहती है।
इस पुरातन अनोखी परंपरा की शुरूआत कब हुई कोई नहीं जानता.. लेकिन महिलाओं की आस्था उन्हें इस मेले में मंदिर तक खींच ले आती है।