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Chhath pooja :छठ पूजा में सिंदूर भरना परंपरागत रूप से एक महत्वपूर्ण रीति है। जाने?

जाने इसकी परंपरा और महत्व

सिंदूर एक रंगीन पदार्थ है, जो हिन्दू धर्म में सामंजस्यपूर्ण महत्व है। यह लाल रंग का पौधा होता है, जिसे पिसकर पाउडर बनाया जाता है।

 

 

सिंदूर विशेषकर सौभाग्य और सुहाग की संकेत माना जाता है, और यह विवाहित स्त्री द्वारा माथे की किनारी पर लगाया जाता है। यह हिन्दू धर्म में स्त्री के सौभाग्य और पतिव्रता धर्म का प्रतीक है। छठ पूजा के दौरान भी सिंदूर भरना एक महत्वपूर्ण रीति है।

 

छठ पूजा में सिंदूर भरना परंपरागत रूप से एक महत्वपूर्ण रीति है। इसे सूर्य देव की कृपा और सुरक्षा के लिए समर्पित किया जाता है।

 

यह भी आपके परिवार के लिए शुभ और सुरक्षित जीवन की कामना को दर्शाता है।

 

छठ पूजा, जो प्रमाणिकता से पूर्वक छठी तिथि को मनाई जाती है, उत्तर भारत, नेपाल, और बांग्लादेश में विशेष रूप से मनाई जाती है।

 

 

यह पूजा सूर्य पुत्री छठी माता की पूजा के लिए है, जिन्हें सूर्य देव की पुत्री माना जाता है।

 

 

छठ पूजा के दौरान व्रती व्रत करते हैं और चार दिनों तक विशेष प्रकार के आहार और नियमों का पालन करते हैं। सिंदूर भरना एक महत्वपूर्ण रिवाज है, जो मुख्यतः सुर्योदय के समय किया जाता है, जिससे सूर्य देव की कृपा मिलती है।

 

 

 

इसे द्वितीया और तृतीया दिन किया जाता है। यह पूजा सामाजिक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ जुड़ी होती है।

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