Rewa news : महारानी को आया रात में सपना और सुबह बनवा दिया मां काली का भव्य मंदिर
मध्य प्रदेश का रीवा क्षेत्र लगातार आस्था और विश्वास का केंद्र बन गया है। यहां के राजा महाराजा बहुत ही ज्यादा प्रतापी थे और यहां की रानियां भगवान के प्रति विश्वास से अथक रखती थी। जिसकी एक हम ऐसी कहानी बताएंगे जो आज से पहले आपने शायद ही कहानी सुनी होगी।
Rewa news : रीवा में रानी तालाब एक पर्यटन के रूप में विकसित है जहां दूर-दूर से लोग यहां घूमने के लिए आते हैं साथ ही तालाब के बीच में बने भगवान रुद्र महादेव का दर्शन करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि यहां का मां काली का मंदिर आखिर कैसे बना। मां काली के मंदिर बनने की पीछे क्या कहानी थी इसके बारे में आज हम आपको विस्तार से बताएंगे.
Rewa news : आपको बता दें कि रीवा जिले में स्थित रानी तालाब और मां कालिका मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। जहा यह स्थान करीब 450 साल पुराना है और रीवा के महाराजाओं की धार्मिक आस्थाओं और पारंपरिक संस्कारों से जुड़ा हुआ माना जाता था. यहाँ रानी तालाब और मां कालिका का मंदिर रीवा का प्रमुख पर्यटन स्थल भी यही है, जहाँ लोग अक्सर छुट्टियों में घूमने के लिए आते हैं.
जाने रानी तालाब का इतिहास
अब हम आपको बताएंगे कि आखिर यहां तालाब का निर्माण कब हुआ और इसका नाम रानी तालाब कैसे पड़ा। महाराजा भाव सिंह का कार्यकाल 1608 से 1694 ईस्वी तक था. उनकी शादी 1664 में मेवाड़ की राजकुमारी अजब कुमारी से हुई, जो महाराणा प्रताप की परपोती थीं। साथ ही रानी अजब कुमारी भगवान शिव की अनन्य भक्त थीं. उन्होंने शहर के बीचों-बीच एक विशाल तालाब खुदवाया, जिसे बाद में रानी तालाब के नाम से जाना जाने लगा. तालाब के बीच में शंकर जी का एक मंदिर बनवाया गया, जो पंचायतन शैली में निर्मित है. यह तालाब लगभग साढ़े 12 फीट गहरा है और इसका निर्माण 1670 से 1675 के बीच हुआ था.
मां कालिका का हुआ साक्षात दर्शन
रानी तालाब का निर्माण तो हुआ है लेकिन वहां मां काली का मंदिर पहले नहीं बना था लेकिन वह कैसे बना इसके बारे में लिए जानते हैं।
तालाब के निर्माण के बाद, रानी अजब कुमारी को एक रात मां कालिका ने सपने में दर्शन दिए. मां कालिका, जो रीवा राजघराने की कुलदेवी थीं, ने रानी को संदेश दिया कि तालाब का निर्माण तो अच्छा हुआ, लेकिन उनकी मूर्ति की स्थापना अभी तक नहीं हुई है. इस संदेश के बाद, रानी अजब कुमारी ने अगले ही दिन तालाब के किनारे मां कालिका की प्रतिमा स्थापित करवाई. इस घटना के बाद से यह स्थान धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्राप्त कर गया l