Sidhi news:शहर में कुकुरमुत्तों की तरह संचालित कोचिंग क्लासेस के संचालकों ने शिक्षा को कमाई का अवैध धंधा बना लिया है। कोचिंग संचालक मनमानी फीस बच्चों से वसूलते हैं। साथ ही कोई नियमों का पालन नहीं करते। अधिकतर सरकारी स्कूल के शिक्षक ये कोचिंग क्लासेस चला रहे हैं लेकिन शिक्षा विभाग के जिम्मेदार इन पर कार्रवाई करना तो दूर जांच करने तक की जहमत नहीं उठाते।
Sidhi news:दरअसल, शहर में संचालित अधिकांश कोचिंग संचालक शासन की गाइड लाइन के साथ ही नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। नियम तो दूर कई ऐसे कोचिंग संस्थान है जिनमें सालों से सरकारी शिक्षक पढ़ा रहे हैं लेकिन कोई ध्यान नहीं देता। हालात ये हैं कि अधिकतर कोचिंग सेंटर्स के पास किसी तरह का अनुमति प्रमाण-पत्र ही नहीं है। एक या दो कमरों में कोचिंग खोलकर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया जाता है। यही नहीं बच्चों से मनमानी फीस भी वसूलते है, लेकिन न तो इनका कोई रिकॉर्ड रहता है न ही अन्य व्यवस्थाएं हैं। जिसके कारण बच्चों का भविष्य तो खतरे में रहता ही है साथ ही व्यवस्थाओं के आभाव में बच्चों को परेशान भी होना पड़ता है।
Sidhi news:शिक्षकों का नहीं छूट रहा कोचिंग से मोह / कई सरकारी शिक्षक सालों से कोचिंग संचालित कर रहे हैंए बीच में कार्रवाई हुई तो अपने परिजनों के नाम से संस्थान को ट्रांसफर कर दिया लेकिन इन सरकारी शिक्षकों का कोचिंगों में पढ़ाने का मोह नहीं छूटा। 10 और 12वीं के बच्चों को कोचिंग में दो से तीन शिफ्टों में बच्चों को पढ़ाते हैं जिसके कारण स्कूल जा ही नहीं पाते हैं। शासन-प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
Sidhi news:सीसीटीवी न छात्राओं की सुरक्षा, शासन में रिकॉर्ड भी नहीं/ कलेक्टर-एसपी के सख्त निर्देश और कोचिंग संस्थानों के बाहर ही छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटनाओं के बावजूद कहीं भी सीसीटीवी नहीं लगाए गए नही सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए। साथ ही शासन के रिकॉर्ड में भी यह दर्ज नहीं है कि कौन सा चोकिंग किसका और कहां संचालित है। बड़े शहरों इंदौर, भोपाल और कोटा में बकायता नियमानुसार अनुमति ली जाती है, जिसका रिकॉर्ड शाकन के पास होता है लेकिन ब्यावरा में कोचिंग क्लासेस का मकड़ जाल फैला है, जिनमें कुछ लोगों ने इसे धंधा बना लिया तो कुछ सरकारी शिक्षक अपना अधिकतर समय यहीं दे रहे।