Sidhi news: सेम्पल लेने तक सीमित खाद्य औषधि विभाग की कार्रवाई

October 24, 2024, 8:37 AM
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Sidhi news: अपमिश्रित खाद्य सामग्रियों के बिक्री में आई तेजी 

संपादक अविनय शुक्ला (7723041705)

Sidhi news: जिले में मिलावटी खाद्य सामग्रियों की बिक्री बेरोकटोंक चल रही है। मुनाफाखोर व्यवसाइयों द्वारा त्यौहारी सीजन में मांग बढ़ते ही मिलावटखोरी को बढ़ देते हैं। कार्रवाई के नाम पर जिला स्वास्थ्य विभाग के अधीन काम करने वाले खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा महज दुकानों में अवैध वसूली की जा रही है। आंकड़ों की खानापूर्ति के लिये कुछ दुकानों से मिलावटी खाद्य सामग्रियों के सेम्पल भी लिये जाते हैं लेकिन बाद में कितने पर कार्रवाई होती है इसकी जानकारी कभी सार्वजनिक नही की जाती। लिहाजा मिलावटखोरी में लगे व्यवसायी बेखौफ होकर ग्राहकों से भारी भरकम कीमत वसूलने के बाद भी उन्हें शुद्ध खाद्य सामग्री देने के बजाय मिलावटी पकड़ा रहे हैं। मिलावट शब्द अपने आप मे ही विनाशकारी है मगर जब वह मिलावट व्यक्ति के शरीर के अंदर पहुंच जाएगी तो उसके क्या परिणाम इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। वर्तमान में जिले भर में अत्यधिक मुनाफा कमाने की लालच में दुकानदार और बड़े ब्यापारी खाद्य पदार्थों में मिलावट का खेल खेलते है। जानकारों के अनुसार किराना दुकानों में आय, दाल, चावल, सरसो तेल, वनस्पति घी, मसाला, नमकीन, खाद्य तेल सहित खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी का धन्धा तेजी के साथ फल फूल रहा है।

Sidhi news: जिम्मेदार अधिकारी मुनाफाखोरों पर लगाम लगाने के नाम पर सिर्फ दुकानों से खाद्य पदार्थों के सेम्पल ले लेते हैं और फिर उन सैम्पलों की जांच का क्या होता है इसका किसी को भी पता नहीं होता है। मिलावट के आतंक से गरीब अमीर बुजुर्ग सभी आतंकित है। हर तरफमिलावट ही मिलावट देखने कोमिल रहा है। दूध में पानी और शुद्ध देसी घी में वनस्पति की मिलावट की बात सुनी जाती थी मगर अब सभी खाद्य वस्तुओं में मिलावट देखने और सुनने को मिल रहा है। मिलावट खोरी के चलते खाद्य सामग्री खाने से लोगो के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। मिलावट करने वाले दुकानदार कानून की पहुंच से काफी दूर है। तहसील मुख्यालयों के आसपास व ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ो किराने की दुकाने बिना लाइसेंस के संचालित की जा रही है जहां जीएसटीका पालन नहीं किया जा रहा है। शासन के आदेशो को दर किनार करते हुए खाद्य सामग्री के विक्रेता ऊंचे दामो में बेचकर गरीब जनता की जेब काट कर दुकानदार मालामाल हो रहे है जबकि मिलावट करने को एक गम्भीर अपराध माना गया है। मिलावट साबित होने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 272 के तहत अपराधी को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। फिर भी मिलावटखोरी में लिप्त मुनाफा खोर व्यवसाइयों को सजा दिलाने में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारी पूरी तरह से लापरवाह बने हुये है।

सिंथेटिक दूध का बढ़ रहा कारोबार

Sidhi news: दूध की बढ़ती मांग एवं उत्पादन में भारी कमी के चलते पेशेवर कई विक्रेता अब सिंथेटिक दूध की बिक्री कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार जिला मुख्यालय में ही दर्जनों व्यवसायी घूम-घूमकर सिंथेटिक दूध लोगों के घरों में पहुंचा रहे हैं। इनका सेवन करने के बाद जहां बच्चों के स्वास्थ्य में गिरावट आती है वहीं बड़े लोगों को भी धीरे-धीरे गंभीर बीमारी की चपेट में आना पड़ता है। मिलावटी दूध के कारोबार को रोकने की दिशा में खाद्य सुरक्षा अधिकारी पूरी तरह से लापरवाह बने हुये हैं। इनके द्वारा कभी कभार कार्रवाई के नाम पर बाजार में बैठकर एक-दो दिन में कोरमपूर्ति की जाती है। बाद में कार्रवाई की जरूरत नहीं समझी जाती। लिहाजा सिंथेटिक दूध के कारोबार में लिप्त दूध विक्रेताओं के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इस मामले में जिम्मेदार बड़े अधिकारी भी पूरी तरह से चुप्पी साधे हुये हैं।

 बीमारियों की चपेट में फंस रहे लोग

Sidhi news: बाजार में जिस तरह से मिलावटी खाद्य सामग्रियों की बिक्री हो रही है। उसके कारण अधिकांश घरों में इसका उपयोग भी हो रहा है। चर्चा के दौरान कुछ डॉक्टरों का कहना था कि भारी मुनाफा कमाने के लिए आज अधिकांश खाद्य सामग्रियों में कई तरह की प्रतिबंधित सामग्रियों की मिलावट की जा रही है। जिसके चलते उसका उपयोग करने वाले लोग धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। लीवरए किडनी खराब होने की मुख्य वजह ऐसे केमिकल हैं जिनका उपयोग काफी घातक होता हैं। फिर भी कई खाद्य सामग्रियों में प्रतिबंधित केमिकल का उपयोग किया जा रहा है। खासतौर से कई मशाले ऐसे हैं जिनमें केमिकल का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। जिससे इनका कलर अच्छा दिखे। कुछ समय से बाजार में मिलावटी हल्दी का भी कारोबार काफी तेजी के साथ बढ़ा है। इसमें घातक केमिकल का उपयोग किया जाता है। जिससे पिसी हुई हल्दी का रंग काफी पीला गहरा नजर आता है। जबकि सामान्य हल्दी का कलरइतना ज्यादा नहीं होता। इसी तरह अन्य गर्म मशालों में भी केमिकल का उपयोग हो रहा है।

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