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Sidhi news:रामराज्य की पहली सीढी है निषादराजः बाला व्यंकटेश

Abhinay Shukla

By Abhinay Shukla

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Sidhi news:सर्वप्रथम व्यासपीठ का पूजा अर्चन एवं समिति के पदाधिकारी श्रीमती कुमुदिनी सिंह पार्षद, सुरेन्द्र सिंह बोरा, लालमणि सिंह चौहान बरिष्ठ अधिवक्ता, राजेन्द्र सिंह भदौरिया, अंजनी सिंह सौरभ आदि ने कथा प्रवक्ता पं. बाला व्यंकटेश महराज वृन्दावनोपासक का माल्यार्पण से स्वागत अभिनन्दन किये। इसी अवसर पर सोंधी मॉटी लोनी बघेली साहित्यिक मंच सीधी के कवि आचार्य बृजमोहन योगी ब्रजेश की काव्य कृति ज्ञान दीप वार दे का महराज जी ने व्यासपीठ से विमोचन करते हुए रचनाकार को शुभकामना दिया। कथा का शुभारंभ करते हुए महराज पं बालाव्यंकटेश ने कहा कि दशरथ जी अपना गुण एकान्त में तथा दोष समाज में देखते हैं लेकिन दशानन अपना गुण समाज में और दोष ए एकान्त में देखते हैं। यही दशरथ और दशानन नन में मूलभूत अंतर है। अतएव हम सब श्रोताओं को इस सूत्र का मंथन करना चाहिए तभी कल्याण संभव है। आगे प्रसंग में महराज जी ने बताया कि दशरथ के जीवन में वैराग्य का माध्यम कैकेयी बनी है। महराज जी ने कहा कि कैकेयी ने जो त्याग किया।

Sidhi news:है उसे संतजन महनीय मानते हैं। क्योंकि अपने मॉग के सिन्दूर को दाव में लगाकर अपने चारो बच्चियों के सिन्दूर को बचाने का कार्य कैकेयी ने किया है। यह कहना कि राम को बनवास और भरत को राजगद्दी मागने की स्वार्थपरता ऊपर ऊपर की बात है। लेकिन भीतर का रहस्योद्घाटन कैकेयी को त्याग का प्रतिमूर्ति निरूपित करता है। महराज जी ने कहा कि मानस पटल पर सत्संग का प्रभाव विलम्ब से और कुसंग का कुप्रभाव त्वरित पडता है। मंथरा कुसंग की प्रतीक है। उसने कैकेयी को भ्रमित किया है कि रामका राज्याभिषेक और कौशल्या को राजमाता की घोषणा होगी तथा भरत को कुछ नही मिलेगा। आगे के प्रसंग में महराज जी ने बताया कि दशरथ हैं वेदए कौशल्या ज्ञानए कैकेयी क्रिया और सुमित्रा उपासना की प्रतीक है। फिर भी मंथरा ने कैकेयी का मन फेरकर यह सिद्ध कर दिया कि दुख की जड़ है काम और सुख की जड हैं राम। रामकथा में देश एवं प्रदेश के कथा व्यास बाला व्यंकटेश महराज वृन्दावनोपासक ने अनेक गूढार्थ से सीधी के श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। श्रोताओं से पूरा पण्डाल आरती तक भरा रहा।

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