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Trending chudi:बंगाल की पारंपरिक चूड़ियाँ, संस्कृति, सौंदर्य और भावना का प्रतीक

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Trending chudi:बंगाल की पारंपरिक चूड़ियाँ, संस्कृति, सौंदर्य और भावना का प्रतीक

त्योहारों और विवाहों में दिखता है पारंपरिक श्रृंगार का नया अंदाज़

Trending chudi : भारतीय परंपरा में श्रृंगार का विशेष स्थान रहा है और उसमें भी चूड़ियाँ महिलाओं की शान मानी जाती हैं। बंगाल की पारंपरिक चूड़ियाँ आज भी न सिर्फ़ सौंदर्य की दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

हरे, लाल, पीले और नीले जैसे विविध रंगों में मिलने वाली इन चूड़ियों को खासतौर पर दशहरा, दीपावली और दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों और विवाह अवसरों पर पहना जाता है। पारंपरिक बंगाली चूड़ियाँ मुख्यतः कांच, धातु और रेशम के धागों से तैयार की जाती हैं। इन पर बारीक कारीगरी, सोने जैसा डिज़ाइन और मोतियों की सजावट इन्हें शाही रूप प्रदान करती है।

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Trending chudi : विवाह समारोह में दुल्हन द्वारा पहनी जाने वाली हरे-लाल रंग की चूड़ियाँ सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती हैं। वहीं दूसरी ओर, चमकीले पत्थरों और क्रिस्टल से सजी बहुरंगी चूड़ियाँ आधुनिक परिधान के साथ भी मेल खाती हैं और युवतियों में खासा लोकप्रिय हो रही हैं।

बंगाल में चूड़ियों की खरीदारी एक पारिवारिक परंपरा रही है, जहां मां, दादी और बहनें मिलकर नई दुल्हन के लिए चूड़ियाँ पसंद करती हैं। कोलकाता के नईहाटी और बागबाजार जैसे पारंपरिक बाजार आज भी इस परंपरा के केंद्र बने हुए हैं, जहां स्थानीय कारीगरों की मेहनत झलकती है।

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हालांकि डिजिटलीकरण के इस दौर में ये चूड़ियाँ अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी उपलब्ध हैं, लेकिन हाथों से बनी इन चूड़ियों का आकर्षण और उनसे जुड़ी भावनाएं अब भी सबसे अलग हैं।

पारंपरिक बंगाली चूड़ियाँ सिर्फ़ एक गहना नहीं, बल्कि भारतीय स्त्री की सांस्कृतिक पहचान और भावनात्मक जुड़ाव की प्रतीक बन चुकी हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी चमक के साथ आगे बढ़ रही हैं।

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Manoj Shukla

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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