जनवरी 1848 में डलहौजी भारत का गवर्नर जनरल होकर आया और 1856 तक वह इस पद का पर असीम रहा वह एक साम्राज्यवादी था और अपने 8 वर्षों के शासनकाल में अग्रगामी नीति का अनुकरण करता रहा ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार इसका मुख्य धेय था और इसमें सफलता मिली लॉर्ड डलहौजी को भारतीय नरेशों से और नवाबों से गिरना थी आता है उसके अस्तित्व को समाप्त करवा भारत में राजनीति एकता और सफलता स्थापित करना चाहता था इसलिए उसने अनेक राज्य का बलपूर्वक अपहरण कर तथा कंपनी में साम्राज्य की वृद्धि हुई
… कंपनी के साम्राज्य की सीमाओं को सुरक्षित बनाना भी आवश्यक था कंपनी के राज्य की पश्चिमी और पूर्वी सीमा असुरक्षित थी पूर्व में वर्मा के राज्य से भय तथा पश्चिम में रूस भारत और अफगानिस्तान द्वारा आक्रमण किए जाने की संभावना थी अभी सिखों की शक्ति का भी पूर्णता दमन नहीं हो सका आता है एवं कंपनी के राज्य की सीमा को सुरक्षित बनाना डलहौजी की दूसरी नीति डलहौजी एक प्रतिभा संपन्न व्यक्ति था समाज साम्राज्यवादी था विस्तार के साथ-साथ वह देश के निर्माण का कार्य भी करता चाहता था इसके लिए उसने अनेक सुधार लागू किया जो अत्यंत ही महत्व के थे इन सुधारो से उसने भारत का महान कल्याण किया
. डलहौजी के हड़प नीति के सिद्धांत के अनुसार यदि किसी भी अधीनस्थ राजा अपना कोई वास्तविक स्वयं का पुत्र नहीं हो तो उसका राज्य लिप्स मान जाएगा अर्थात वह राज्य अंग्रेज सरकार को वापस लौट जाएगा क्यूंकि अंग्रेज़ सरकार ने उसे राज्य को उसके पूर्वजों को दिया था डलहौजी का मत की अंग्रेज सरकार की स्वीकृति के बिना दत्तक पुत्र राज सिंहासन का अधिकारी नहीं हो सकता राजा को तो गोद लिए पुत्र को केवल अपनी निजी संपत्ति देने का अधिकार था पर वह राज्य अंग्रेज सरकार की दिन होने से राज सिंहासन का उत्तराधिकारी देने का अधिकार केवल अंग्रेजों को था