- सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत दांडी मार्च से हुई थी, जिसे नमक सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है । दांडी मार्च, मोहनदास करमचंद गांधी के नेतृत्व में शुरु हुआ अहिंसक आंदोलन था।
- यह नमक पर ब्रिटिशो के एकाधिकार के खिलाफ शुरु हुआ,अहिंसक विरोध प्रदर्शन आंदोलन था। इसमें गांधी और उनके समर्थकों ने समुद्री जल से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून को तोड़ा था।
- इस दौरान दांडी में हजारों लोगों ने उनका अनुसरण किया और बंबई एवं कराची के तटीय शहरों में, भारतीय राष्ट्रवादियों ने नमक बनाने में नागरिकों का नेतृत्व किया था। नमक कानून तोड़ने के इस कृत्य से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई थी।
मुख्य भाग:
- सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण:
- सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत दांडी नमक सत्याग्रह के कारण हुई थी, जिसे नमक के उत्पादन और बिक्री पर सरकार के नियंत्रण के कारण शुरू किया गया था।
- इस दौरान कानून इतने सख्त थे कि अगर कोई रेत पर पड़ा एक मुट्ठी समुद्री नमक भी उठा लेता था तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता था।
- इसके अलावा वर्ष 1928 के साइमन कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल न करने और क्रांतिकारियों की गैरकानूनी गिरफ्तारी के कारण भी जनता के बीच राष्ट्रवादी भावना पनपने लगी थी।
- इस तनावपूर्ण स्थिति के आलोक में सविनय अवज्ञा आंदोलन का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन का महत्त्व:
- ब्रिटेन से होने वाले आयात में गिरावट आई: उदाहरण के लिये इस दौरान ब्रिटेन से होने वाले वस्त्रों का आयात आधा हो गया था।
- अखिल भारतीय भागीदारी: भारत के पश्चिमी तट से शुरू हुआ यह आंदोलन आगे चलकर लगभग पूरे देश में विस्तारित हुआ था। अप्रैल और मई में क्रमशः नेहरू और गांधी की गिरफ्तारी के विरोध में मद्रास, कलकत्ता, कराची, बॉम्बे, दिल्ली और शोलापुर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे।
- समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी: यह आंदोलन पूर्व में हुए आंदोलनों की तुलना में अधिक व्यापक था। इसमें महिलाओं, किसानों, श्रमिकों, छात्रों और व्यापारियों ने भाग लिया था जिससे कांग्रेस को अखिल भारतीय पहचान प्राप्त हुई थी।
- शहरी और ग्रामीण इलाकों में गरीबों और निरक्षरों द्वारा इस आंदोलन को जो समर्थन दिया गया था वह उल्लेखनीय था।
- वैश्विक मान्यता: इस आंदोलन की शुरुआत में किसी को भी नमक कानून तोड़ने के महत्त्व का एहसास नहीं हुआ था। यहाँ तक कि वायसराय लॉर्ड इरविन का भी यह मानना था कि आम जनता पर इसका बहुत कम प्रभाव पड़ेगा। दांडी यात्रा के दौरान गांधी ने हजारों लोगों से बात की और लोगों को इसमें शामिल होने के लिये प्रेरित किया था।
- इस प्रतिष्ठित मार्च से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। यहाँ तक कि अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका ‘टाइम’ के पहले पृष्ठ पर गांधी की तस्वीर के साथ ब्रिटिश सरकार की क्रूरता और अहिंसा को प्रदर्शित किया गया था।