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Sidhi corruption:परिवहन अधिकारी की सह पर चल रही बिना फिटनेस की बसें

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Sidhi corruption : सड़क सुरक्षा की बातें सिर्फ हवा-हवाई, छात्रों की जान से खिलवाड़ कर रहे स्कूल संचालक,स्कूल वाहनों में सुविधाओं का टोटा, पड़ताल में खुलेगी हकीकत-विभाग प्रमुख अभी गहरी नींद में।

संवाददाता अभिनय शुक्ला

Sidhi corruption : सड़क सुरक्षा के लिए बातें तो बड़ी बड़ी होती है, लेकिन अमल नहीं किया जाता। जब तक नभियान चलता है, तब तक ही सुधार दिखल है। इसके बाद स्थिति जस की तस बन जाती है। अनफिट स्कूली बसें दौड़ती दिखाई देती है, जो टेंपो और रिक्शा में क्षमता से अधिक ये ते होते हैं। नियमों की अनदेखी अलगसे की जाती है। स्कूली बच्चे भी दो पहिया वाहन में आते-जाते दिखाई देते हैं। सर से शुरू हुई लापरवाही सड़क और स्कूल के भीतर तक दिखाई देती है। यानी ना हो अभिभाषक ध्यान दे रहे है और ना ही पुलिस सख्ती कर रही है। स्कूल भी कुछ नहीं। कर यो है। जिले में भी स्कूलचे वाहनों के नियमों का मन ही उल्लधन देखने को मिलता है।

अधिकांश स्कूली बसों के पास परमिट नहीं है। जिनके पास परमिट है, उनमें अधिकतर को फिटनेस नहीं कराई जाती है। बसों में कैमरे नहीं है तो पार्ट एड बॉक्सर भी नहीं है। परिजन भी आटो व मैजिक बहनों में बच्चों को स्कूल भेज रहे है। अपने नौनिहालों को बैकर बेफिक्र स्कूल बसों में होने वाले अभिभावकों के लिए संचलने काबता है।

Sidhi corruption  : आपके बच्चे जिन बसों में स्कूल जा रहे है से उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। यह सच स्कूलों बसों की पढ़ताल में सामने लागा है। जिले व शहर में संचालित होने वाली स्कूल बधों में न तो स्पीड गवर्नर है और न ही ड्रायवरों के पास लायसेंध। जिन बसों में बच्चों को सुरक्षित माना जाया है उनमें ज्यादातर स्कूली बसे खटारा मिली है, जिनकी उम्र पूरी हेनेआई है।

बसों में परमिट कंपलीट है, न सीसीटीवी कैमरे। स्कूल बसों को लेकर गंभीर लापरवाही तथ है जन जिम्मेदार अक्सर लगातार बस ऑपरेटर व स्कूल संचालकों की बैठके लेकर दिदासों देने का दवा करते रहे हैं। जिले का जिम्मेदार विभाग आरडीओ दलालों के हवाले संचालित किया जा रहा है। स्कूरी का संचालन महीने भर से ऊपर हो

गया है लेकिन आरटीओ की पीद अभी टूटने की नाम नहीं ले रही है जिसके कारण आये दिन दुर्घटनाएं देखने को मिल रही है। विगत दिनो बम्हनी चौकी के कुलरी में हुए हादसे के बाद पता चला कि बस का न तो बोगा था और न ही फिटनेश जिससे महान ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्कूल प्रबंधन वाहनों के लेखार कितना गंभीर है।

राजनैतिक संरक्षण में चल रही स्कूले

Sidhi corruption  : जिले की 90 प्रतिशत निजी स्कूले राजनीतिक संयाण में फल- फूल रही है जिससे अधिकारियों के लिए कार्यचाई करना देकी खीर रहता है।

अगर किसी विभाग द्वारा चेकिंग लगा भी दी जाली है तो सामने से नेताओं के फोन अधिकारियों के पास बजाने लगते है जिससे मजबूर होकर अधिकारियों द्वारा स्कूल बसों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। अगर अधिकारी कार्यवाही कर भी दें तो उसके बाद उनका जीना मुहाल इन नेताओं द्वारा कर दिया जाता है। इसका नजारा कुबरी में विगत वर्ष हुए हादसे में देखने को मिला या जहां कांग्रेस नेता के पुत्र द्वारा स्कूल का संचालन किया जा रहा था दो लोगों की मौत के बाद चौकी प्रभारी नेताओं के दवाव में सुबह तक कार्रवाई नहीं कर पाती और अंत में नतीजा यह निकला कि मामला तो दर्ज किया गया लेकिन चौकी प्रभारी भी नप गए।

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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