Surya temple : ऐसा मंदिर जहां कुंड के पानी से चर्म रोग ठीक होने की मान्यता।
11वीं सदी का है प्राचीन बालाजी सूर्य मंदिर।
बालाजी सुर्य मंदिर से जुड़ा इतिहास
Surya temple : भिंड जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर मिहोना एवं बंथरी के मध्य में बालाजी सूर्य मंदिर है, जो 11 वीं सदी का बताया जाता है, जिसकी स्थापना राजा विकल देव के पुत्र इंद्रदेव ने कराई थी। रविवार के दिन हजारों की संख्या में दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालू, यहां ऐसी मान्यता है कि छजनिया चढ़ाने और यहां के कुंड के जल से चर्म रोग ठीक हो जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले बालाजी सूर्य भगवान की स्थापना चबूतरे पर कराई गई थी, जिसके बाद संम्वत 1957 में संत हरिदास महाराज के नेतृत्व में मंदिर का निर्माण हुआ था जिसके बाद रविवार के दिन मेला लगने लगा जो अनवरत जारी है।
कुंड के जल से चर्म रोग ठीक होने की मान्यता
ऐसी मान्यता है कि बालाजी सुर्य मंदिर में पांच रविवार को जो श्रद्धालु आते हैं उनके दुख दर्द ओर मनोकामना पूर्ण हो जाती है, बताया जाता है कि यहां स्थापित कुंड के जल पीने एवं शरीर में स्पर्श करने से किसी भी प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं,साथ ही रविवार के दिन जो श्रद्धालु आते हैं वह मंदिर में छजनिया नाम की वस्तु को चढ़ाते हैं जो मंदिर परिसर में लगे मेले में ही उपलब्ध हो जाती है।
रंग पंचमी से एक महीने के लिए लगता है वार्षिक मेला
Surya temple : बालाजी सूर्य मंदिर पर प्रतिवर्ष होली के बाद रंग पंचमी से यहां विशाल मेले का आयोजन होता है जो एक महीने तक चलता है। इस मेले में घर गृहस्ती के सामान के साथ-साथ खाने पीने की सामग्रियों की कई दुकानें भी सजाई जातीं हैं और विशाल झूले भी लगाए जाते हैं, मेले को देखने के लिए भिंड के अलावा दूर दराज अंचल एवं अन्य प्रांतों से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।