sidhi news: नहर लापता य जमीन पर तन गईं इमारतें जिम्मेदारों को नहीं है खबर, चिन्हित किये गए थे अतिक्रमणकारी
संवाददाता अविनय शुक्ला (7723041705)
sidhi news: शहर के गोपालदास बांध से शहरी क्षेत्र होते हुए किसानों के खेतों तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के लिए बनाई गई नहर लापता हो गई है। नहर की भूमि पर आलीशान इमारतें तन चुकी हैं। विभागीय अधिकारी भी इस पर रुचि नहीं ले रहे हैं, लिहाजा बेशकीमती शासकीय भूमि अतिक्रमण मुक्त नहीं हो पा रही है। शहर के दक्षिण करौदिया में बनाए गोपालदास बांध से शहरी अंचल से लगे गांव के खेतों में सिंचाई के लिए वर्ष 1970-72 में नहर का निर्माण शुरू किया गया था, करीब तीन किमी माइनर नहर बनाई जा चुकी थी, बीच-बीच में नहर का निर्माण नहीं हुआ था, बाद में शहर विकास के कारण जब खेत नहीं बचे तो नहर के निर्माण को ठंडे बस्ते में डालदिया गया। भले ही नहर के माध्यम से सिंचाई के लिए बांध का पानी नहीं छोड़ा जा रहा था, लेकिन करीब तीन दशक तक नहरें अस्तित्व में थी। लेकिन वर्ष 2002 से शहर विकास तेजी के साथ बढने लगा और कॉलोनियों का निर्माण शुरू हुआ तो नहर में अतिक्रमण शुरू हो गया। धीरे-धीरे अतिक्रमण का ग्राफ बढ़ता गया और नहर की जगह आलीशान इमारतें खड़ी हो गई। अब नहर का कहीं अता पता नहीं है। 30 फिट थी लंबाई विभागीय सूत्रों की माने तो माइनर नहर की लंबाई करीब 10मीटर यानि 30 फीट थी। गोपालदास से नहर शुरू होकर गोपालदास मुख्य मार्ग के किनारे तक आने के बाद सूखा नाले की ओर मोड़ दी गई थी और सूखा नाले के किनारे तक नहर का निर्माण हुआ था। इसके बाद टीसीपीसी के पास से नहर शुरू होकर कोतवाली मार्ग क्रास करते हुए हिरण नाले के किनारे से होते हुए इंदिरा नगर कॉलोनी से होकर जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र कार्यालय के सामने स्वीपर बस्ती से होकर सिंचाई विभाग कार्यालय के पीछे से नूतन कॉलोनी, सिविल लाइन, एसपी बंगला के बगल से बढ़ते हुए कोतर खुर्द तक जाकर समाप्त हो गई थी।
पूर्व में जारी हो चुकी है नोटिस
sidhi news: पूर्व कलेक्टर अभिषेक सिंह के संज्ञान में जब मामला आया था, तब उनके द्वारा तहसीलदार गोपद बनास को अतिक्रमण का चिन्हांकन कराकर अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी करने के आदेश दिये गए थे। तत्कालीन तहसीलदार गोपद बनास द्वारा करीब आधा सैकड़ा से अधिक अतिक्रमणकारियों को चिन्हांकित करते हुए नोटिस भी जारी की गई थी और शेष अतिक्रमणकारियों के चिन्हांकन की कार्रवाई जारी थी, लेकिन उसी दौरान कलेक्टर अभिषेक सिंह का जिले से स्थानांतरण हो गया, जिससे मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।