Umaria News: चार दिन से जारी हाथियों का आतंक: मकान तोड़े, फसलें बर्बाद, ग्रामीणों में डर का माहौल
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
जिले के घुनघुटी वन परिक्षेत्र के गांवों में बीते चार दिनों से जंगली हाथियों का आतंक बना हुआ है। यह हाथी दल अनूपपुर जिले के अहिरगवा रेंज से यहां पहुंचा है, जो दिन में जंगलों में छिपा रहता है और रात को गांवों की ओर आकर उत्पात मचा रहा है। इस कारण ग्रामीणों में गहरी दहशत का माहौल है और लोग रातभर जगकर अपने घरों व खेतों की रखवाली करने को मजबूर हैं।
कई कच्चे मकान क्षतिग्रस्त, बाड़ी में केला फसल तबाह
मालाचुआ ग्राम के जमुनिहा टोला में हाथियों ने दो ग्रामीणों भैयालाल गौण और रामप्रसाद गौण के कच्चे मकानों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है। मकानों की दीवारें गिरा दी गईं और अंदर रखा सामान तहस-नहस हो गया, जिससे पीड़ितों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
वहीं, हथपुरा गांव में लक्ष्मण सिंह और कल्याण सिंह की बाड़ी में लगे केले के पौधों और फलों को हाथियों ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया। खेतों की बाड़ और अन्य संरचनाएं भी तोड़ दी गईं। किसानों का कहना है कि इस नुकसान से उनकी सालभर की मेहनत बर्बाद हो गई है।
वन विभाग की सतर्कता, लेकिन डर कायम
वन विभाग की टीम मौके पर तैनात है और लाउडस्पीकर के माध्यम से ग्रामीणों को सचेत किया जा रहा है। रेंजर अर्जुन बाजबा के मुताबिक,
हाथियों का यह दल अहिरगवा से चार दिन पहले यहां आया है। वे दिन में जंगल में रहते हैं और रात को गांवों की ओर निकलते हैं। किसी भी जनहानि को रोकने के लिए विभाग की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं। हालांकि अब तक किसी भी तरह की जानमाल की क्षति की सूचना नहीं है, लेकिन स्थिति लगातार तनावपूर्ण बनी हुई है।
ग्रामीणों में रोष, मुआवजे की मांग
लगातार हो रही घटनाओं से ग्रामीणों में आक्रोश है। उनका कहना है कि वन्यजीवों की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन ग्रामीणों की जानमाल की सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। कई ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि हाथियों को सुरक्षित तरीके से जंगल में वापस खदेड़ा जाए और जिन परिवारों को नुकसान हुआ है, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।
प्रशासन से राहत की अपेक्षा
घरों और फसलों के नुकसान से प्रभावित ग्रामीण अब शासन-प्रशासन की ओर देख रहे हैं। वे चाहते हैं कि नुकसान का सर्वे कराकर शीघ्र राहत राशि और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। यदि समय पर कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
समस्या का दीर्घकालिक समाधान जरूरी
यह संकट सिर्फ आर्थिक नुकसान का नहीं बल्कि मानसिक भय का भी कारण बन चुका है। वन विभाग की तात्कालिक सतर्कता सराहनीय है, लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान जरूरी है, ताकि भविष्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सके।