आदिवासियों पर अत्याचार के विरोध में गोंगपा का प्रदर्शन, अवैध होटल-लॉजों पर भी उठे सवाल
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
वन विभाग द्वारा निर्दोष आदिवासियों पर झूठे प्रकरण दर्ज कर जेल भेजे जाने के विरोध में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने सोमवार को पनपथा स्थित एसडीओ कार्यालय का घेराव किया। इस दौरान बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को तत्काल नहीं रोका गया तो गोंगपा उग्र आंदोलन करेगी।
झूठे प्रकरणों पर आक्रोश
गोंगपा नेताओं ने आरोप लगाया कि बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन ने हाल ही में दर्जनभर आदिवासियों पर “वन सीमा में अवैध प्रवेश” जैसे फर्जी मुकदमे दर्ज किए हैं। जिला अध्यक्ष आर.पी. कोल ने कहा कि वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 में साफ उल्लेख है कि जो लोग पीढ़ी दर पीढ़ी वन क्षेत्र में निवासरत हैं, उन्हें आवागमन और जीवन-यापन के लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं होती। इसके बावजूद गरीब और अनपढ़ आदिवासियों पर मुकदमे दर्ज करना उनकी अस्मिता और अस्तित्व पर हमला है।
कलेक्टर ने बनाई जांच समिति
इस मामले में कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन ने गंभीरता दिखाते हुए जिला पंचायत सीईओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है। समिति जल्द ही मामले की जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी।
अवैध होटल-लॉज का मुद्दा भी गर्माया
प्रदर्शन के दौरान गोंगपा नेताओं ने बांधवगढ़ नेशनल पार्क की अधिसूचित सीमा में वर्षों से चल रहे अवैध होटल-लॉजों पर भी सवाल उठाए। नेताओं ने कहा कि जब बाहरी शिकारियों और होटल संचालकों को संरक्षण मिलता है, तब अपने ही आदिवासियों को जेल भेजना दोहरा मापदंड है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ज्ञापन में रखी प्रमुख मांगें
गोंगपा ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम सौंपे जाने वाले ज्ञापन में तीन मुख्य मांगें रखी हैं।
1. पतौर क्षेत्र के आदिवासियों पर दर्ज सभी झूठे मुकदमे तत्काल वापस लिए जाएं।
2. दोषी वन अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
3. पार्क सीमा में संचालित अवैध होटल-लॉजों के पट्टे निरस्त कर भूमि खाली कराई जाए।
नेताओं के तेवर तीखे
प्रदेश मंत्री तेज प्रताप सिंह उइके, महामंत्री विजय पटेल और प्रचार मंत्री राजू गुप्ता ने मंच से कहा कि यदि निर्दोष आदिवासियों को न्याय नहीं मिला तो पार्टी राज्यव्यापी आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि असली गुनाहगारों को संरक्षण देना और आदिवासियों को सजा देना प्रशासन की नाकामी है।
विरोध प्रदर्शन में वरिष्ठ नेता सुरेश परस्ते, शंकर परस्ते, विजय नारायण मरावी, बेला बाई प्रजापति, केशव सिंह मसराम समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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