बांधवगढ़ में बाघों के बीच अफसरों की मस्ती? संवेदनशील हालात में मुख्यालय छोड़ने का आरोप
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
देश के प्रतिष्ठित बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में वन्यजीव सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। इस बार आरोप सीधे तौर पर जिम्मेदार अफसरों की कार्यशैली पर हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट सुशील लेवी ने मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन बल प्रमुख को पत्र लिखकर उप संचालक प्रकाश वर्मा और उनके अधीनस्थ अधिकारियों पर लापरवाही, नियमों की अनदेखी और बिना अनुमति मुख्यालय छोड़ने के आरोप लगाए हैं।
पत्र में कहा गया है कि टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में लगातार बाघ, तेंदुआ, जंगली हाथी और अन्य हिंसक वन्यप्राणियों की आवाजाही बनी हुई है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी मौके पर मौजूद रहने के बजाय निजी मनोरंजन में व्यस्त रहे। इसे वन्यजीव संरक्षण के प्रति गंभीर उदासीनता बताया गया है।
आरटीआई पत्र में यह भी दावा किया गया है कि बांधवगढ़ में शिकार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं। जुलाई 2025 में मगधी कोर क्षेत्र में बाघ के शिकार की घटना सामने आई थी। इसके बाद 6 दिसंबर 2025 को धमोखर परिक्षेत्र में भी बाघ शिकार का मामला उजागर हुआ। हैरानी की बात यह है कि दोनों घटनाएं टाइगर रिज़र्व मुख्यालय से महज 12 से 14 किलोमीटर की दूरी पर हुईं, फिर भी सुरक्षा व्यवस्था पर कोई ठोस असर नजर नहीं आया।
सबसे चिंताजनक स्थिति पनपथा बफर क्षेत्र के बीट पलझा उत्तर की बताई गई है, जहां 25 जुलाई 2025 से बाघ का लगातार मूवमेंट दर्ज किया जा रहा है। यह इलाका रिहायशी क्षेत्र से सटा हुआ है, जिससे ग्रामीणों में डर और आक्रोश दोनों हैं। हालात को संभालने के लिए लक्ष्मण और सूर्या नामक हाथियों को 14 दिसंबर 2025 तक तैनात किया गया था।
इसी संवेदनशील दौर में आरोप है कि 13 दिसंबर 2025 को पनपथा रेंज के रेंजर प्रतीक श्रीवास्तव और उप संचालक प्रकाश वर्मा मुख्यालय छोड़कर सरसी आईलैंड क्षेत्र में मनोरंजन कर रहे थे। यह स्थान उप संचालक मुख्यालय से करीब 80 से 85 किलोमीटर दूर बताया गया है, जबकि बाघ मूवमेंट वाला क्षेत्र इससे कहीं नजदीक था।
उसी दिन टाइगर रिज़र्व मुख्यालय से करीब 12 से 14 किलोमीटर दूर एक तेंदुए का शव मिला, वहीं सामान्य वन मंडल उमरिया क्षेत्र में करंट लगने से एक बाघ की मौत की पुष्टि हुई। बताया गया कि मृत बाघ बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व का ही था। क्षेत्र संचालक उस समय अवकाश पर थे, ऐसे में उप संचालक की गैरमौजूदगी को और भी गंभीर माना जा रहा है।
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि कुछ परिक्षेत्राधिकारी संवेदनशील इलाकों से दूर रहकर वरिष्ठ अधिकारियों की खुशामद में जुटे रहे। इसके अलावा उप संचालक के पुत्र और उनके मित्रों की फर्म द्वारा कूनो नेशनल पार्क और बांधवगढ़ में सप्लाई कार्य किए जाने का आरोप भी लगाया गया है, जिसकी विस्तृत जानकारी जल्द देने की बात कही गई है।
आरटीआई एक्टिविस्ट ने आशंका जताई है कि जांच से पहले तथ्यों को दबाने की कोशिश हो सकती है। उन्होंने मांग की है कि जांच पूरी होने तक संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर सख्त कार्रवाई की जाए। यह मामला अब बांधवगढ़ में वन्यजीव संरक्षण, प्रशासनिक जिम्मेदारी और जवाबदेही पर बड़ा सवाल बन गया है।
