घने कोहरे और ठिठुरन के बीच स्कूल पहुंचने को मजबूर बच्चे, अभिभावकों ने कलेक्टर से अवकाश की उठाई मांग
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
जिले में लगातार पड़ रहे घने कोहरे और बढ़ती ठंड के बीच स्कूली बच्चों का स्कूल जाना अभिभावकों के लिए चिंता का कारण बन गया है। सुबह के समय कोहरा इतना घना रहता है कि कई इलाकों में विजिबिलिटी बेहद कम हो जाती है। इसी ठिठुरन और धुंध के बीच बच्चे रोजाना स्कूल पहुंच रहे हैं, जिससे उनकी सेहत और सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सुबह के शुरुआती घंटों में तापमान काफी नीचे चला जाता है। बच्चे भारी बस्ते के साथ ठंडी हवा और कोहरे में पैदल या साइकिल से स्कूल जाते नजर आते हैं। कई अभिभावकों का कहना है कि छोटे बच्चों के लिए यह स्थिति और भी ज्यादा मुश्किल है। ठंड के कारण हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं और कोहरे में सड़क पर वाहन दिखने में देर लगती है, जिससे हादसे का खतरा बना रहता है।
स्कूल बसों और ऑटो से जाने वाले बच्चों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोहरे के कारण वाहन धीमी गति से चलते हैं, जिससे बच्चे देर से स्कूल पहुंचते हैं। कई बार बसों को बीच रास्ते में रुकना पड़ता है। इसके बावजूद स्कूलों का नियमित संचालन जारी है, जिससे अभिभावकों में नाराजगी बढ़ रही है।
अभिभावकों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि अत्यधिक ठंड और घने कोहरे को देखते हुए स्कूलों में अवकाश घोषित किया जाए या फिर स्कूलों का समय बदला जाए। उनका कहना है कि बच्चों की पढ़ाई महत्वपूर्ण है, लेकिन उनकी सेहत और सुरक्षा उससे कहीं ज्यादा जरूरी है। कई अभिभावकों ने इस संबंध में कलेक्टर से भी छुट्टी की मांग उठाई है।
कुछ अभिभावकों का सुझाव है कि प्राथमिक और पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के लिए विशेष रूप से अवकाश दिया जाना चाहिए, क्योंकि छोटे बच्चे ठंड के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इस मौसम में बच्चों को सर्दी, खांसी, बुखार और सांस संबंधी समस्याओं का खतरा अधिक रहता है। लगातार ठंड और कोहरे में बाहर निकलने से बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो सकती है। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि बच्चों को गर्म कपड़े पहनाए जाएं और सुबह के समय अनावश्यक बाहर निकलने से बचाया जाए।
फिलहाल प्रशासन की ओर से अवकाश को लेकर कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है। हालांकि अभिभावक लगातार मौसम की गंभीरता को देखते हुए जल्द निर्णय की उम्मीद कर रहे हैं। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्या कदम उठाता है।
