स्वच्छता अभियान पर दाग, उमरिया कलेक्ट्रेट की दीवारें पान-गुटखे की पिक से लाल
उमरिया तपस गुप्ता
जिले के कलेक्ट्रेट कार्यालय परिसर में स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत सवालों के घेरे में है। जिस प्रशासनिक भवन से पूरे जिले में साफ-सफाई, स्वच्छ भारत मिशन और सार्वजनिक स्थानों को गंदा न करने के संदेश दिए जाते हैं, उसी कलेक्ट्रेट की दीवारें पान और गुटखे की पिक से रंगी हुई नजर आ रही हैं।

कार्यालय परिसर में जगह-जगह खिड़कियों के पास की दीवारों पर लाल निशान साफ दिखाई देते हैं। दीवारों की हालत देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कोई एक-दो दिन की लापरवाही नहीं, बल्कि लंबे समय से चल रही आदत का नतीजा है। हैरानी की बात यह है कि यह स्थिति आम नागरिकों की नहीं, बल्कि कलेक्ट्रेट में पदस्थ कर्मचारियों की मानी जा रही है, जो रोज इसी परिसर में काम करते हैं।

स्थिति यहीं तक सीमित नहीं है। परिसर में लगी पानी की सफेद टंकी भी पान और गुटखे की पिक से लाल हो चुकी है, जो साफ-सफाई के प्रति लापरवाही का बड़ा उदाहरण पेश करती है। सरकारी कार्यालय, जो अनुशासन और जिम्मेदारी का प्रतीक माने जाते हैं, वहां इस तरह की गंदगी प्रशासनिक गंभीरता पर भी सवाल खड़े करती है।
स्वच्छता अभियान के तहत गांवों, कस्बों और शहरों में जागरूकता रैलियां, पोस्टर और दंडात्मक कार्रवाई की बातें की जाती हैं, लेकिन जब वही नियम प्रशासनिक कार्यालयों में लागू होते नहीं दिखते, तो अभियान की प्रभावशीलता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि कलेक्ट्रेट जैसे प्रमुख कार्यालय में ही स्वच्छता के नियमों का पालन नहीं होगा, तो आम जनता से इसकी उम्मीद कैसे की जा सकती है। जरूरत है कि प्रशासन पहले अपने कार्यालयों को उदाहरण बनाए, दोषियों पर कार्रवाई करे और स्वच्छता अभियान को केवल कागजों तक सीमित न रखकर व्यवहार में उतारे। तभी स्वच्छता का संदेश प्रभावी ढंग से समाज तक पहुंच सकेगा।
