Alligator took birth: एशिया का सबसे बड़ा घड़ियाल केंद्र बना चंबल का घड़ियाल अभ्यारण
Alligator took birth: मध्य प्रदेश में इन दोनों घड़ियाल अभ्यारण का दौर चल रहा है। जहां चंबल है अभ्यारण में इन दोनों खुशी की लहर छाई हुई है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय चम्बल घडियाल अभ्यारण्य में 180 से अधिक अण्डों से नन्हे शावक निकल आये। इससे अभ्यारण्य में घडियाल का कुनवा और बढ़ गया है।
वहीं अब वन विभाग में हर्षाेल्लास का वातावरण है। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी चम्बल नदी के दो घाटों से 200 अण्डे एकत्रित कर मई माह के मध्य में लाये गये थे। जहा इनमें से आवाज आने पर हेचिंग कराई गई। 4 दिवस के दौरान 180 से अधिक अण्डों से बच्चे निकले हैं। साथ ही इन्हें पूर्ण सुरक्षा के साथ देवरी हेचिंग सेंटर में रखा गया है। जहा लगभग तीन वर्ष तक इन बच्चों का हेचिंग सेंटर में ही जीवन यापन कराया जायेगा और घडियाल की लम्बाई 1 मीटर 20 सेन्टीमीटर होने के बाद चम्बल के अनेक घाटों पर विचरण के लिये छोड़ दिया जायेगा।
Alligator took birth: मध्य प्रदेश के चम्बल घडियाल अभ्यारण्य के अम्बाह रेंज स्थित बाबू ङ्क्षसह की घेर तथा चुसलई घाट से 200 अण्डे एकत्रित कर देवरी हेचिंग सेंटर पर रखा जाता है। जहा नदी घाट से निकले अण्डों को उसी तापमान तथा दशा व दिशा में सुरक्षित रखकर हेचिंग का इंतजार किया जाता है। हेचिंग से पूर्व अण्डों से कडक़ड़ाने की आवाज निकलती है।
वही इस देवरी हेचिंग सेंटर पर 4 जून से लेकर 9 जून तक चार बार अण्डों से बच्चे निकले है। वही अभी 20 अण्डों से बच्चे निकलना रह गये हैं। जहा अब घडियाल की मादा मार्च माह के मध्य से अप्रैल माह के मध्य तक रेत पर 25 से 55 तक अण्डे देती है। 60 से 70 दिवस के बाद इन अण्डों से बच्चे निकलना आरंभ हो जाते हैं। इसके अलावा जीव विज्ञान एवं शोधकर्ताओं के दौरान भारतीय प्रजाति के विलुप्त हो रहे जलीय जीव घडियाल की प्राकृतिक वातावरण में जीवन दर 2 प्रतिशत तथा कृत्रिम वातावरण मेें 50 प्रतिशत मानी जाती है।
वही अब भारत में वर्ष 1977 से भारतीय प्रजाति के जलीय जीव घडियाल का संरक्षण किया जा रहा है। साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 1975 से 1977 तक दो वर्ष के दौरान विश्व की विभिन्न नदियों में कराये गये सर्वे के दौरान 200 घडियाल जीवित पाये गये थे। जहा इनमें से 46 घडियाल मध्यप्रदेश की चम्बल नदी में विचरण कर रहे थे।
बात करें घड़ियालों की संख्या की तो यहां घडियालों की संख्या को देखकर चम्बल नदी के 435 किलो मीटर क्षेत्र घडियाल अभ्यारण्य घोषित कर नदी के मध्य से दोनों किनारों की 1-1 किलोमीटर की दूरी तक रेत व मिट्टी का उत्खनन प्रतिबंधित कर दिया था। जहा अब इस वर्ष फरवरी माह में चम्बल नदी में कराये गये सर्वे के दौरान 2456 घडियाल विचरण करते हुये देखे गये।
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