बिलासा के मंच से बिरसिंहपुर पाली की अरुणा पाराशर बनीं छंद साधना की पहचान
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के तुलसी मंगलम भवन में आयोजित बिलासा साहित्य शिक्षण संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय दीक्षांत समारोह में उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली एमसीबी की साहित्य साधिका अरुणा पाराशर की सहभागिता विशेष आकर्षण का केंद्र रही। देश-विदेश से आए छंद साधकों के बीच उनकी सक्रिय उपस्थिति और साहित्य के प्रति समर्पण ने पाली क्षेत्र का नाम रोशन किया।

बिलासा साहित्य शिक्षण संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस दीक्षांत समारोह में छंद साधकों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया जाता है। इस वर्ष का आयोजन अत्यंत भव्य रहा, जिसमें अनेक नवप्रस्तारित छंद ग्रंथों का विमोचन, वर्ल्ड रिकॉर्ड पुस्तकों की प्रदर्शनी और संस्थान की वार्षिक गतिविधियों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। इसी गरिमामय मंच पर श्रीमती अरुणा पाराशर ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

बताया जाता है कि अरुणा पाराशर लंबे समय से छंद साहित्य में रुचि रखती हैं और बिलासा साहित्य शिक्षण संस्थान के माध्यम से छंद विधान की विधिवत साधना कर रही हैं। ऑनलाइन व्हाट्सएप कक्षाओं के जरिए उन्होंने दोहा, चौपाई, सवैया, घनाक्षरी जैसे छंदों की बारीकियों को सीखा और नियमित अभ्यास के माध्यम से अपनी साहित्यिक समझ को मजबूत किया। उनके अनुसार, यह संस्था न केवल छंद लेखन सिखाती है, बल्कि अनुशासन, निरंतर अभ्यास और सांस्कृतिक चेतना भी विकसित करती है।
दीक्षांत समारोह के दौरान जब अलग-अलग राज्यों और देशों से आए साधकों को सम्मानित किया जा रहा था, तब बिरसिंहपुर पाली जैसे छोटे नगर से जुड़ी एक साधिका की मौजूदगी स्थानीय युवाओं और साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणा बनी। पाली क्षेत्र के साहित्यकारों का कहना है कि श्रीमती अरुणा पाराशर की यह सहभागिता आने वाले समय में क्षेत्र में छंद साहित्य के प्रति रुचि बढ़ाएगी।
कार्यक्रम में 500 से अधिक साहित्यकारों और दर्शकों की उपस्थिति रही तथा इसका लाइव प्रसारण भी किया गया। बिलासा महालय के इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि साहित्य की साधना किसी बड़े शहर तक सीमित नहीं है। बिरसिंहपुर पाली की अरुणा पाराशर इसकी जीवंत मिसाल बनकर उभरी हैं, जिनकी यह उपलब्धि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।
