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currency of india:भारत के रुपयों का इतिहास,जाने भारतीय मुद्रा के बारे

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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currency of india: भारतीय मुद्रा का इतिहास बहुत प्राचीन और समृद्ध है, जिसमें कई मुद्राओं और सिक्कों का उपयोग विभिन्न कालों में हुआ। यहाँ प्राचीन भारतीय मुद्रा के प्रमुख चरणों का वर्णन है

currency of india : 1. प्राचीन काल की मुद्राएं (600 ईसा पूर्व से पहले):

बार्टर सिस्टम (वस्तु विनिमय प्रणाली)

भारतीय मुद्रा का प्रारंभिक चरण वस्तु विनिमय प्रणाली पर आधारित था। लोग वस्तुओं का आदान-प्रदान करते थे।

currency of india : सबसे प्राचीन सिक्के (600 ईसा पूर्व – 300 ईसा पूर्व)

भारतीय इतिहास के सबसे प्राचीन सिक्के “पंच-चिन्हित सिक्के” (Punch-marked coins) थे। ये सिक्के चांदी के होते थे और इन पर विभिन्न प्रतीकों के चिन्ह होते थे। ये सिक्के मगध, कौशल, और गांधार जैसी प्राचीन भारतीय महाजनपदों द्वारा जारी किए गए थे।

2. मौर्य साम्राज्य (300 ईसा पूर्व – 185 ईसा पूर्व):

मौर्य साम्राज्य के सिक्के

मौर्य साम्राज्य के समय में चांदी और तांबे के सिक्कों का चलन बढ़ गया। इन सिक्कों पर पंच-चिन्ह अंकित होते थे, जो राज्य की ताकत और साम्राज्य की आर्थिक स्थिति का प्रतीक होते थे।

currency of india: चन्द्रगुप्त मौर्य और अशोक के समय

इस समय में सिक्कों पर शासकों के नाम और प्रतीक चिन्हों का चलन बढ़ा। अशोक के समय के सिक्कों पर बौद्ध धर्म से संबंधित प्रतीक दिखाई देते थे।

3. कुषाण साम्राज्य (1वीं से 3वीं सदी):

कुषाण शासक कनिष्क के सिक्के

कुषाण काल में स्वर्ण मुद्राओं का चलन हुआ। कनिष्क ने सिक्कों पर बौद्ध और ईरानी देवताओं के चित्रों को अंकित किया। यह भारत में स्वर्ण मुद्राओं के व्यापक उपयोग का प्रारंभ था।

4. गुप्त साम्राज्य (4वीं से 6वीं सदी):

गुप्त शासकों के स्वर्ण सिक्के

गुप्त साम्राज्य में स्वर्ण सिक्के, जिन्हें “दीनार” कहा जाता था, का चलन व्यापक था। सम्राट समुद्रगुप्त और चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय में विशेष रूप से सुन्दर और कलात्मक स्वर्ण सिक्के जारी किए गए। इन सिक्कों पर राजा के चित्र और देवताओं के चित्र अंकित होते थे, जो उनके धार्मिक और राजनैतिक शक्ति का प्रदर्शन करते थे।

5. मध्यकालीन भारत (7वीं से 12वीं सदी):

राजपूत और दक्षिण भारतीय साम्राज्यों के सिक्के: इस समय में विभिन्न राजपूत और दक्षिण भारतीय साम्राज्यों जैसे चालुक्य, राष्ट्रकूट, और चोल शासकों द्वारा सोने, चांदी, और तांबे के सिक्के जारी किए गए। इन सिक्कों पर शासकों के प्रतीक और देवताओं के चित्र अंकित होते थे।

6. दिल्ली सल्तनत (1206-1526):

तांबे और चांदी के सिक्के: दिल्ली सल्तनत के शासकों ने तांबे और चांदी के सिक्कों का प्रचलन किया। इन सिक्कों पर अरबी लिपि में इस्लामी धार्मिक वचन लिखे होते थे। उदाहरणस्वरूप, अलाउद्दीन खिलजी ने एक तांबे की मुद्रा चलाई जिसे “जितल” कहा जाता था।

7. मुगल साम्राज्य (1526-1857):

स्वर्ण, चांदी, और तांबे के सिक्के: मुगल साम्राज्य में मुद्रा प्रणाली और अधिक सुव्यवस्थित हो गई। अकबर ने “मोहुर” (स्वर्ण), “रुपया” (चांदी), और “दाम” (तांबे) के सिक्के जारी किए। ये सिक्के बहुत उच्च गुणवत्ता के होते थे और मुगलों के शासनकाल में पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में उपयोग में आते थे।

शेरशाह सूरी

शेरशाह सूरी ने भारत में पहली बार रुपया नामक मुद्रा को चलन में लाया। इसने भारत की मुद्रा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया, जिसका प्रभाव बाद के मुगल शासकों और ब्रिटिश शासन तक रहा।

8. ब्रिटिश भारत (1757-1947):

currency of india : रुपये का चलन

ब्रिटिश शासन के दौरान चांदी के रुपये और तांबे के सिक्के चलन में थे। 19वीं सदी के अंत तक ब्रिटिश भारत में कागजी मुद्रा (बैंक नोट्स) का प्रचलन भी शुरू हो गया था। 1862 में, रुपया को आधिकारिक मुद्रा घोषित किया गया और ब्रिटिश सम्राट का चित्र इन सिक्कों पर अंकित होता था।

9. स्वतंत्र भारत (1947 के बाद)

स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने अपनी स्वयं की मुद्रा प्रणाली को अपनाया। 1957 में, भारत ने दशमलव प्रणाली को अपनाया और रुपये को 100 पैसे में विभाजित किया।

प्रारंभ में भारतीय नोटों और सिक्कों पर अशोक स्तम्भ का प्रतीक और गांधी जी की तस्वीर अंकित की गई।

currency of india : प्राचीन भारतीय मुद्रा की विशेषताएं

धातु आधारित मुद्रा

प्राचीन काल से भारत में मुख्य रूप से धातु के सिक्कों का प्रयोग होता था, जिसमें चांदी, तांबा और स्वर्ण प्रमुख थे।

प्रतीक चिन्ह

सिक्कों पर धार्मिक और राजनीतिक प्रतीकों का इस्तेमाल होता था, जैसे पंच-चिन्हित सिक्कों पर सूर्य, चंद्रमा, और पशु-पक्षी के चिन्ह।

कला और शिल्प

प्राचीन भारतीय सिक्कों पर विशेष रूप से गुप्त काल में उच्च स्तर की कलात्मकता और शिल्पकला का प्रदर्शन हुआ। सिक्कों पर देवताओं, राजाओं और युद्ध के दृश्य अंकित होते थे।

भारतीय मुद्रा का यह विकास सदियों से बदलते राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवेश का प्रतीक रहा है, और आधुनिक भारत में रुपये के रूप में इसका व्यापक उपयोग है।

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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