Harchhath : हरछठ की पूजा का क्या है महत्व क्यों, बाँस से बनी वस्तुओं का उपयोग
क्यों मनाई जाती है हरछठ
Harchhath : भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर हरछठ व्रत किया जाता है. इस पर्व को चंदन छठ, बलदेव छठ और अन्य नाम से भी जाना जाता है. इस दिन विशेष रूप से भगवान बलराम की पूजा की जाती है. प्रदेशभर में हरछठ का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें महिलाएं अपने बेटों की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती है. इस दौरान माताएं बिना खाना-पानी पिए दिन भर व्रत रखती हैं.
निर्जला उपवास करती है महिलाएं
हरछठ का पर्व देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस त्यौहार में मेरा अपने पुत्र की लंबी उम्र की मनोकामना के लिए और सुख समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखकर पूजन करती है, वही बात से बनी हुई छोटी टोकरियों(चुरकु) का काफी महत्व होता है, माना जाता है कि वंश वृद्धि के लिए बात से बनी हुई चुरकु को चढ़ाया जाता है.
विशेष रूप से इन वस्तुओं का होता है उपयोग
हरछठ की पूजन में चुरकु, छोटी मिट्टी की बनी हुई मटकी, लाई, महुआ, नारियल, पसाई का चावल, और विशेष तौर पर भैंस का दूध का उपयोग किया जाता है,
यहां माना जाता है कि हल छठ के दिन उगी हुई चीजों का सेवन नहीं किया जाता जैसे गेहूं चावल फल फूल इत्यादि महिलाएं नहीं खाती है शाम के समय पूजन होने के बाद सिर्फ भैंस का दूध और पसाई का चावल,और महुआ की खीर बनाकर खाती है, वही पूजन में गुल्ली का तेल कर दिया जलाया जाता है