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Sidhi news:घूसखोरों को पकड़वाने में फरियादियों के ही नोट भ्रष्टाचार पर करते हैं चोट

Abhinay Shukla

By Abhinay Shukla

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Sidhi news:भ्रष्ट मुलाजिमों को पकड़ने मे जिन नोटों का इस्तेमाल होता है वह शिकायतकर्ता से लिए जाते हैं।

संवाददाता अविनय शुक्ला (7723041705)

Sidhi सरकारी सिस्टम में फैली घूसखोरी यानी भ्रष्टाचार को उजागर करने का साहस और हौसला आम आदमी की जेब पर भारी भी पड़ जाता है। वह ऐसे कि रिश्वतखोर अधिकारी-कर्मचारियों को पकड़ने के लिए लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू पुलिस जो नोट इस्तेमाल करती हैं, वह शिकायतकर्ता के ही होते है। आए दिन रिश्वत लेते सरकारी मुलाजिम ट्रैप हो रहे हैं। ऐसे भ्रष्टाचारियों और रिश्वतखोरों को पकड़ने के लिए फरियादी लोकायुक्त से लेकर ईओडब्ल्यू के पास पहुंचते हैं इसके बाद कार्यवाही होती हैं। यह रकम रिश्वत लेते जब लोकायुक्त या ईओडब्ल्यू पकड़ता है तो उसका परीक्षण करने के बाद जब्ती बनाई जाती है। लेकिन यह जब्ती की रकम घूसखोरों को पकड़वाने में उलझ जाती हैं। सरकारी सिस्टम में फैली घूसखोरी यानी भ्रष्टाचार को उजागर करने का साहस और हौसला आम आदमी की जेब पर भारी पड़ जाता है। ऐसे रिश्वतखोर अधिकारी कर्मचारियों को पकड़ने के लिए लोकायुक्त पुलिस जिन रुपयों का इस्तेमाल करती हैं, वह शिकायतकर्ता के ही होते है। लोकायुक्त इन नोटों की मदद से भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़ तो लेती हैं लेकिन शिकायत करने वालों को उनके नोट सालों बाद भी वापस नहीं मिल रहे है। शहर सहित प्रदेश में

फरियादियों की बड़ी रकम कोर्ट और है सरकार की प्रक्रिया में उलझी है।

Sidhi news: रंगे हाथ करने के लिए रुपयों का इंतजाम पीड़ित ही करता है जब कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा किसी काम के लिए रिश्वत माग जाने की शिकायत करता है तो लोकायुक्त उसे ट्रैप करने के लिए रुपयों की व्यवस्था शिकायत करने वाले से ही करवाती हैं। रिश्वत के तौर पर जितने रुपयों की मांग होती हैं, उतने रुपयों के नोट के नबंर पहले ही लोकायुक्त पुलिस लिखकर रखती हैं। उन नोटों पर फिनाक्थलीन नामक कैमिकल लगा देती हैं। जैसे ही भ्रष्टाचार करने वाला अधिकारी या कर्मचारी यह नोट लेता है तो उसके हाथ पर वह केमिकल लग जाता हैं। मौके पर मौजूद टीम तुरंत उसे पकड़कर सोडियम काबोनेंट वाले पानी मे उसका हाथ डलवाते हैं।

Sidhi news: इससे पानी का रंग बदल जाता है और साबित हो जाता है कि उसने वही नोट लिए है, जो लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत करने वाले के हाथ से भेजे थे। इसे ही रंगे हाथ पकड़ा जाना कभते है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद मामला दर्ज कर कोर्ट मे चालान पेश किया जाता हैं। वर्षों तक केस चलता रहता है लेकिन जो नोट इस प्रक्रिया मे इस्तेमाल होते है, वह भी उलझ जाते है। केस खत्म होने पर फरियादी को रुपए वापस मिलते हैं लेकिन इसके लिए प्रक्रिया भी खुद फरियादी को करना होता हैं।

हर साल रिश्वत लेते हुए सरकारी अधिकारी होते हैं ट्रैप

लोकायुक्त रीवा संभाग अंतर्गत सीधी जिले मे हर साल कई अधिकारी कर्मचारी रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाते है। इस वर्ष में अब तक लगभग आधा दर्जन के करीब ट्रैप के केस हो चुके है। वही संभाग के अन्यकार्यालयों की बात करे तो सालाना वहां पर बहुत से अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेते ट्रैप होते हैं। गौरतलब है कि सीधी मे लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू आए दिन कभी पटवारी तो कभी रीडर तो कभी बाबू से लेकर अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों को 1500 से 50 हजार से अधिक की रिश्वत लेते पकड़ रही हैं।

कोर्ट तय करती है रुपए या अन्य सामान कहां रखना है

लोकायुक्त या ईओडब्ल्यू पुलिस जबकिसी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ती है तो उसकी चार्जशीट के साथ जब्ती के रुपए भी कोर्ट में जमा करवाए जाते हैं। इसके बाद कोर्ट तय करती है कि इन रुपयों को कहां रखना है। हालांकि हथियार या कोई ठोस चीज आमतौर पर कोर्ट की नाजिर शाखा मे जमा करवाई जाती हैं। रुपए-पैसे या गहनों जैसी कोई चीज हो तो उसे कहां रखवाना है यह निर्णय कोर्ट ही लेती हैं।फरियादी ही देता है रिश्वत की रकम वर्तमान समय मे फरियादी से ही ट्रैप की रकम ली जाती हैं। जब फरियादी रिश्वतखोर को यह रकम देता है तब उन नोटों को रिश्वत लेते पकड़ा जाता है। सीधी जिले मे लगातार कार्यवाई चल रही हैं। जिसके तहत कैमिकल से हाथ धुलवाए जाते है। रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ी गई रकम कोर्ट मे जमा कराई जाती हैं। इसके बाद कोर्ट तय करती हैं कि इन रुपयों को कहां रखना है। यह रकम कोर्ट में कार्यवाही चलने तक नहीं दी जाती हैं।

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